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नशे में धुत हो ड्राइवर तो नहीं चलेगी कार

वाशिंगटन। दुनिया भर में ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं शराब पीकर गाड़ी चलाने से होती हैं। इस मामले में भारत का आंकड़ा सबसे अधिक माना जाता है। देर रात तक पार्टी करने वाले या त्योहारों के जश्न के बाद शराब के नशे में धुत होकर गाड़ी चलाने वालों को काबू करने की एक तकनीक इजाद हो गई है।

By Edited By: Published: Wed, 02 Jan 2013 12:03 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2013 12:03 PM (IST)
नशे में धुत हो ड्राइवर तो नहीं चलेगी कार

वाशिंगटन। दुनिया भर में ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं शराब पीकर गाड़ी चलाने से होती हैं। इस मामले में भारत का आंकड़ा सबसे अधिक माना जाता है। देर रात तक पार्टी करने वाले या त्योहारों के जश्न के बाद शराब के नशे में धुत होकर गाड़ी चलाने वालों को काबू करने की एक तकनीक इजाद हो गई है। इसके मुताबिक जब नशे में धुत चालक अपने होश खो रहा हो तो कार अपनी समझ को बढ़ाते हुए चलने से इंकार कर देगी।

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अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं ने सांस और स्पर्श पर आधारित एक ऐसी संवेदी तकनीक तैयार की है जिसकी मदद से शराब पिए हुए लोगों को गाड़ी चलाने से रोका जा सकेगा। लिहाजा, सड़क हादसों पर भी काबू पाने में खासी सफलता मिलेगी। सीबीएस न्यूज के अनुसार अनुसंधानकर्ता बड जॉक ने कहा कि ये संवेदी तकनीक इस विचार पर तैयार की गई है कि अगर किसी व्यक्ति ने तय मात्रा यानी .08 की कानूनी सीमा से अधिक शराब पी रखी है तो वह अपने वाहन को लेकर आगे बढ़ ही नहीं सकेगा। बड ने बताया कि कार या किसी भी अन्य वाहन का स्टार्ट बटन दबाते ही यह तकनीक काम करने लगेगी। स्पर्श आधारित डिटेक्टर की मदद से व्यक्ति की हालत का पहला संकेत हासिल होगा। फिर बटन से निकलने वाली हल्की इंफ्रारेड किरणें चमकते हुए उंगली के अंदर तक जाएंगी। यह इंफ्रारेड किरणें उंगली के अंदर जाकर ऊतकों में अल्कोहल की मात्रा का पता लगा लेंगी। अल्कोहल का अपना एक दृश्यात्मक संकेत होता है। ये दृश्यात्मक संकेत तब नजर आता है जब अल्कोहल की मात्रा निर्धारित 0.8 से अधिक हो। अगर ये किरणें उस संकेत को देखेंगी तो बटन के जरिए कार को स्टार्ट नहीं होने देंगी। सांस की परख करने वाला संवेदी यंत्र कार की स्टीयरिंग व्हील में लगा होता है। स्टार्ट बटन से निकलीं इंफ्रारेड हल्की किरणें आपके शरीर के अणुओं को उत्तेजित करती हैं। इसके जरिए आपसी सांस का आंकलन कर आपके शरीर में अल्कोहल की मात्रा का सटीक पता लगाया जाता है। हालांकि इन किरणों के कारण इंसान के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। बड ने बताया कि इस परियोजना के लिए अमेरिकी सरकार समेत 16 कार कंपनियों ने 1000 लाख अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता की थी।

दूसरी ओर अमेरिका के 8 हजार होटल श्रंखलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अमेरिकन बेवरेजस इंस्टीट्यूट ने इस शोध का विरोध किया है। उनका कहना है कि अमेरिका में शराब पीकर गाड़ी चलाने की समस्या काफी कम है। लिहाजा सभी अमेरिकी नागरिकों को इस तकनीक के जरिए निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।

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