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22 साल से न्याय का इंतजार था तुषार को

याकूब मेमन को फांसी होनी चाहिए, यह मांग करते हुए 1600 लोगों के हस्ताक्षर वाला पत्र महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को सौंपनेवाले तुषार देशमुख का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के बुधवार के फैसले से न्याय व्यवस्था में देशवासियों का भरोसा और सुदृढ़ होगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 08:34 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 08:39 PM (IST)
22 साल से न्याय का इंतजार था तुषार को

मुंबई(ओमप्रकाश तिवारी)। याकूब मेमन को फांसी होनी चाहिए, यह मांग करते हुए 1600 लोगों के हस्ताक्षर वाला पत्र महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को सौंपनेवाले तुषार देशमुख का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के बुधवार के फैसले से न्याय व्यवस्था में देशवासियों का भरोसा और सुदृढ़ होगा। 1993 के विस्फोटों में तुषार की मां प्रीति देशमुख की मौत हो गई थी।

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दो दिन पहले, जब याकूब मेमन की फांसी रुकवाने के लिए देश के प्रबुद्धजनों का एक वर्ग लामबंद हो रहा था, तो मुंबई के कुछ लोगों ने 36 वर्षीय तुषार को आगे कर एक हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया था। 1993 में तुषार मात्र 13 वर्ष के थे और सातवीं कक्षा में पढ़ते थे। उनकी मां महालक्ष्मी क्षेत्र में नौकरी करती थीं। महानगर में आतंकी विस्फोटों की जानकारी मिलते ही घर जाने के इरादे से वह रूट नंबर 85 की बस में बैठकर आ रही थीं। वरली में सेंचुरी बाजार के पास पहुंचते ही बस के ठीक पीछे आ रही टैक्सी में जोरदार धमाका हुआ। खतरनाक आरडीएक्स के जरिए किए गए विस्फोट के कारण एक बड़े बम में बदल चुकी टैक्सी ने अपने सामने जा रही बेस्ट की बस के परखचे उड़ा दिए। बस ड्राइवर के शरीर के तीन टुकड़े हो गए थे। तुषार की मां के भी अधजले शरीर से हाथ और पांव गायब थे।

अपनी मां की इन भयावह यादों के साथ 22 साल से जी रहे तुषार को जब पता चला कि इस मामले में फांसी की सजा पाने वाले एकमात्र दोषी याकूब की भी फांसी टलवाने की मुहिम में कुछ लोग लगे हैं तो उन्हें बहुत तकलीफ हुई। फिर उन्होंने याकूब की सजा पर अमल करवाने के लिए मुहिम चलाने का फैसला कर लिया। इस मुहिम में उनका साथ देते हुए कुछ ही घंटों के भीतर 1600 लोगों ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे। याकूब को फांसी दिए जाने की पुष्टि होने के बाद उनके पास न सिर्फ मुंबई, बल्कि देशभर से फोन आ रहे हैं। तुषार के अनुसार लोगों का कहना है कि आतंकवाद रोकने का काम हम लोगों का है और आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाकर ही इस पर काबू पाया जा सकता है।


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