दुनिया भर में रही योग की धूम
ऐसा विश्व इतिहास में विरले ही होता है जब सारी दुनिया में किसी वजह से हर तरह की सीमा टूट जाए। 21 जून, 2015 को पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने धर्म, राष्ट्र से लेकर अमीर-गरीब तक की सारी सीमाओं को तोड़ दिया। पेरिस से लेकर न्यूयार्क तक, सिडनी से लेकर
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ऐसा विश्व इतिहास में विरले ही होता है जब सारी दुनिया में किसी वजह से हर तरह की सीमा टूट जाए। 21 जून, 2015 को पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने धर्म, राष्ट्र से लेकर अमीर-गरीब तक की सारी सीमाओं को तोड़ दिया। पेरिस से लेकर न्यूयार्क तक, सिडनी से लेकर तंजानिया तक, इटली से लेकर बीजिंग तक के निवासियों ने न सिर्फ योग शिविरों में हिस्सा लिया बल्कि भारत की 'वसुधैव कुटुंबकम' के सिद्धांत को सही साबित किया। केंद्र सरकार और दुनिया में 150 देशों से ज्यादा जगहों पर स्थित भारतीय दूतावासों ने इन आयोजनों को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
संयुक्त राष्ट्र के न्यूयार्क स्थित मुख्यालय में इस अवसर पर एक आयोजन भी हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संबोधित किया। मोदी ने कहा कि, दुनिया काफी तनाव की स्थिति से गुजर रहा है और योग इस तनाव से राहत पाने का एक अहम जरिया साबित हो सकता है। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए वहां गई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून से मुलाकात की और योग को और ज्यादा व्यापक स्वरूप देने पर बातचीत भी हुई। स्वराज ने बताया है कि 192 देशों में किसी ने किसी तरीके से योग को मनाया गया है। सिर्फ गृह युद्ध से जूझ रहा यमन में ही योग दिवस का आयोजन नहीं किया गया है। बान की मून ने स्वीकार किया है कि वह योग दिवस को मिली सफलता को लेकर आश्चर्यचकित हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो यूएन कई दिवस आयोजित करता है, लेकिन जिस तरह का उत्साह योग दिवस को लेकर पूरी दुनिया में है वह अचंभित करने वाला है।
वैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग का सबसे आयोजन अमेरिका के न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वायर पर हुआ। माना जा रहा है कि टाइम्स स्क्वायर पर इतनी बड़ी भीड़ इसके पहले 11 सितंबर की आतंकी घटना की बरसी मनाने के लिए ही उमड़ी थी। लेकिन पेरिस के एफिल टावर के नीचे योग मनाने वालों का उत्साह भी कम नहीं था। वहां लगभग दस हजार लोगों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। इसके अलावा यूरोपीय देशों के तमाम छोटे व बड़े पार्को में संस्थागत स्तर पर या निजी स्तर पर हजारों योग शिविरों के आयोजन की खबरें आ रही हैं। विदेश मंत्रालय ने चीन की तमाम विश्वविद्यालयों से लेकर तंजानिया में मनाए गए योग दिवस की तस्वीरों को साझा किया है।
मलयेशिया, इंडोनेशिया, तुर्की समेत लगभग 43 मुस्लिम बहुल देशों से भी योग दिवस की तस्वीरें सोशल साइट्स पर साझा की गई हैं। अफ्रीका के तमाम मुस्लिम बहुल देशों में उत्साह से योग का आयोजन हुआ है। हां, पड़ोसी देश पाकिस्तान से किसी सार्वजनिक स्थल पर योग मनाने कोई सूचना नहीं है। लेकिन वहां भारतीय उच्चायोग के प्रांगण में योग शिविर का आयोजन किया गया। इसमें दूसरे देशों के दूतावासों के अधिकारी भी शामिल हुए।
सफल रही कूटनीति
दुनिया भर के तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बयान दिए हैं, उनसे साफ होता है कि भारत सरकार ने योग को अपनी कूटनीति का एक हिस्सा बना कर सही कदम उठाया है। भारतीय दूतावासों के अधिकारियों ने कहा है कि उनकी उम्मीद से भी ज्यादा भीड़ जुटी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस बात की सफलता का कुछ श्रेय लेने की कोशिश की है कि उनके देश ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया।
लंदन में टेम्स किनारे योग
ब्रिटेन के भी कई शहरों में योग कार्यक्रम हुए। मुख्य कार्यक्रम लंदन में टेम्स नदी के किनारे बर्नी-स्पेन गार्डन में हुआ। प्रधानमंत्री डेविड केमरन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का समर्थन कर ब्रिटेन बेहद प्रसन्न है।
ऑस्ट्रेलिया में कई आयोजन
अंतरराष्ट्रीय विश्व योग दिवस के मौके पर ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न, सिडनी के बोंडी बिच व राजधानी केनबरा में योग कार्यक्रम हुए। इनमें एक हजार से ज्यादा लोग शरीक हुए। प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने अपने संदेश में कहा कि हजारों साल से योग अपने साधकों के मन व शरीर में संतुलन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
चीन में भी कार्यक्रम
विश्व योग दिवस पर चीन की प्रतिष्ठित पीकिंग यूनिवर्सिटी व गीलि यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम हुए। इनमें सैकड़ों लोग शरीक हुए। योग दिवस के एक सप्ताह पूर्व भारत-चीन योग कॉलेज का शुभारंभ हुआ। यह देश का पहला योग कॉलेज है। यह युन्नान मिंजू यूनिवर्सिटी कुनमिंग में शुरू हुआ है।
सिंगापुर में 50 कार्यक्रम
सिंगापुर में 50 से ज्यादा केंद्रों पर कार्यक्रम हुए। सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त विजय ठाकुर सिंह व सिंगापुर के प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री ग्रेस फू भी शरीक हुए।
इन देशों में भी हुए कार्यक्रम
जापान, थाईलैंड, वियतनाम, फ्रांस, मलेशिया, फिलीपींस आदि देशों में भी हुए कार्यक्रम।
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