निजी कंपनियों के कंडोम पैकेट पर 'Racy Pics' को सरकार की मंजूरी नहीं
निजी कंपनियों द्वारा कंडोम पैकेट्स पर आपत्तिजनक तस्वीरों को सरकार मंजूरी नहीं देगी। जल्द ही कोर्ट में इस संबंध में केंद्र की ओर से हलफनामा भेजा जाएगा।
नई दिल्ली। निजी कंपनियों के द्वारा कंडोम पैकेट पर उपयोग की जा रही आपत्तिजनक तस्वीरों को सरकार, सेंसर बोर्ड या अन्य एजेंसियों द्वारा अनुमति नहीं मिलेगी। जल्द ही केंद्र इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करने वाला है।
स्वास्थ्य मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट को बताएगा कि सिनेमेटोग्राफ एक्ट, केबल टीवी एक्ट एंड रूल्स, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया गाइलाइंस के मौजूदा प्रावधानों के तहत शराब और तंबाकू से जुड़े कुछ उत्पादों के लिए सम्मान के साथ आत्म-नियमन और पूर्व प्रमाणीकरण का एक संयोजन निर्धारित किया जाता है। साथ ही इन्हें पर्याप्त माना जाता है और सरकार के पास कंट्रासेप्टिव या कंडोम को आगे बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।‘
इस बार 450000 कंडोम रियो ओलंपिक के दौरान खेल गांव में बांटे जाएंगे
मौजूदा रेग्युलेशंस के तहत आने वाले उत्पादों के लिए किसी तरह के एडवांस सर्टिफिकेशन या प्री-सेंशरशिप को उपलब्ध कराने की सरकार की कोई योजना नहीं है। सुप्रीमकोर्ट बेंच का नेतृत्व करने वाले चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने एडीशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह को कंडोम पैकेट का परीक्षण करने और इसके पैकेट्स पर आपत्तिजनक तस्वीरों के बारे में कोर्ट को बताने का निर्देश दिया था। इसके एक माह बाद यह फैसला आया है। 26 अप्रैल को बेंच ने सरकार से पूछा था, ‘क्या ऐसे विज्ञापनों को चलाने के लिए आपकी कोई योजना है? आप हमें यह भी बताइए कि क्या ऐसे विज्ञापन संज्ञेय अपराध में गिने जाएंगे।‘
सु्प्रीम कोर्ट को सूचित करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन एक संयुक्त हलफनामा भेजेगा जिसमें निरोध व डिलक्स निरोध कंडोम के पैकेट पर रेग्युलेटेड तस्वीरों के साथ बाजार में सब्सिडाइज्ड रेट पर उपलब्ध होने की बात कहेगा।
'कंडोम के पैकेट व एड में अश्लीलता की जांच संभव नहीं'
इसके जरिए यह बताएगा कि कंडोम समेत अन्य कंट्रासेप्टिव को प्रोत्साहन देने के जरिए नेशनल फैमिली वेलफेयर प्रोग्राम के कार्यान्वयन के लिए मंत्रालय जिम्मेवार होगा और यह राज्यों व सोशल मार्केटिंग संगठनों में मुफ्त में बांटा जाएगा।