आदिवासियों की आठ जातियों में महिलाएं अधिक
पुरुषों की तुलना में महिलाओं की घटती संख्या जहां समाज के लिए चिंता का विषय है, वहीं आदिवासी समुदाय की आठ जातियों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हैं। कल्याण विभाग की ओर से जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) को सौंपी गई हालिया रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता
रांची [राज्य ब्यूरो]। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की घटती संख्या जहां समाज के लिए चिंता का विषय है, वहीं आदिवासी समुदाय की आठ जातियों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हैं। कल्याण विभाग की ओर से जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) को सौंपी गई हालिया रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है।रिपोर्ट के अनुसार इन आठ जनजातियों में संताल में पुरुषों की तुलना में 12,387 अधिक महिलाएं हैं।
हालिया सर्वे पर आधारित इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की कुल 32 जनजातीय समुदायों की संख्या 86,45,042 हैं। इनमें पुरुषों की संख्या 43,15,407 है, जबकि महिलाओं की संख्या 43,29,635 है। संताल के बाद आदिवासी समुदाय की हो जनजाति में महिलाएं अधिक हैं। विलुप्त जनजाति के नाम से प्रचलित आठ जनजातियों में से दो माल पहाड़ियां एवं सौरिया पहाड़ी में भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक हैं।
आदिवासियों की बहुत ही समृद्ध परंपरा रही है। जनजातीय समुदाय में बेटियां अभिशाप नहीं, वरदान मानी जाती हैं। यह समाज उन्हें बोझ के रूप में बल्कि संपत्ति के रूप में देखता है। तमाम योजनाओं के रहते हए भी इस समाज का एक बड़ा हिस्सा हाशिये पर है। अभाव और बीमारियों की वजह से आदिवासियों की कई जातियों में हाल के दशक में महिलाओं की संख्या में कमी आई है। इसे देखना होगा। -प्रकाश चंद्र उरांव, पूर्व निदेशक, जनजातीय कल्याण एवं शोध संस्थान
एसटी पुरुष महिला
संताल 13,71,168 13,835551
हो 4,59,209 4,69,080
उरांव 8,55,210 8,61,408
खरिया 97,139 98,996
मुंडा 6,14,199 6,15,022
सौरिया-पहाड़िया 22,970 23,252
माल पहाड़िया 67,791 68,006
बंजारा 242 245
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