संसद का शीत सत्र नवंबर में बुलाने की तैयारी कर रही है सरकार
उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव की गहमागहमी को देखते हुए भी इस सत्र की काफी सियासी अहमियत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । अगले साल से केंद्रीय बजट पेश करने की नई परंपरा शुरू करने की तैयारी कर रही सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस बार संसद का शीत सत्र तय समय से पहले बुलाया जा सकता है। सरकार नवंबर महीने की शुरूआत में ही शीत सत्र बुलाने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रही है। उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव की गहमागहमी को देखते हुए भी इस सत्र की काफी सियासी अहमियत है।
सरकार की कोशिश है कि 31 मार्च से पहले ही अगले साल के बजट को संसद की मंजूरी दिलाई जाए ताकि तीन महीने के लेखानुदान की अस्थायी व्यवस्था की जरूरत ही न पड़े। 28 जनवरी से बजट सत्र बुलाने और 1 फरवरी को बजट पेश करने की संभावित तारीखों पर सरकार विचार भी कर रही है। इसी वजह से शीत सत्र को जल्द बुलाने की जरूरत महसूस की जा रही है। ताकि शीत और बजट सत्र के बीच कम से कम डेढ-दो महीने का अंतराल रहे। एक महीने का शीत सत्र नवंबर के तीसरे सप्ताह से लेकर क्रिसमस के पहले तक चलता है। इस बार इसे नवंबर की शुरूआत से दिसंबर के पहले हफ्ते तक समाप्त करने की रूपरेखा बनाई जा रही है।
फरवरी के बजाए 24 जनवरी से शुरु हो सकता है बजट सत्र, सरकार कर रही है विचार
जीएसटी कानून भी कराना है पारित
सूत्रों के अनुसार, संसद का शीत सत्र जल्द बुलाने की तैयारियों की दूसरी वजह देश के कर ढांचे को बदलने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर तय करने से संबंधित कानून को पारित कराना है। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पारित होने के बाद पचास फीसदी से अधिक राज्य विधानसभाओं से भी इसका अनुमोदन हो चुका है। सरकार ने इसी हफ्ते जीएसटी कांउसिल के गठन की अधिसूचना भी जारी कर दी है। हालांकि सरकार ने अभी विपक्षी दलों से इस बारे में चर्चा नहीं की है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि सरकार ने अभी तक बजट और शीत सत्र जल्द बुलाने पर कांग्रेस से कोई बात नहीं की है।