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धोखे की तैयारी में चीन, हजारों टन सैन्य साजोसामान तिब्बत भेजा

हिंद-प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी अब ज्यादा दिनों तक चुप बैठने वाली नहीं है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 09:45 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 11:34 AM (IST)
धोखे की तैयारी में चीन, हजारों टन सैन्य साजोसामान तिब्बत भेजा
धोखे की तैयारी में चीन, हजारों टन सैन्य साजोसामान तिब्बत भेजा

नई दिल्ली, जेएनएन। सिक्किम क्षेत्र में भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का मुद्दे पर तनानती कम होने का नाम नहीं ले रही है। बॉर्डर पर चल रहा भारत और चीन के बीच तनाव का असर दोनों देशों के संबंधों पर दिख रहा है। भारतीय सेना चीन से लगती सीमा के पास डोकलाम इलाके में लंबे समय तक बने रहने की तैयारी कर चुकी है। चीन वहां से भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने की मांग कर रहा है। डोकलाम को लेकर भारत के साथ जारी तनातनी के बीच चीन ने तिब्बत में दो सैन्य अभ्यासों के बहाने अपने हजारों टन सैन्य साजोसामान इन पठारों की तरफ भेजे हैं।

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डोकलाम (सिक्किम-भूटान सीमा) से लेकर हिंद-प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी अब ज्यादा दिनों तक चुप बैठने वाली नहीं है। एक तरफ अमेरिका ने जहां चीन को परोक्ष तौर पर यह चेतावनी दी है कि अगर हिंद महासागर में भारत के खिलाफ कुछ होता है तो वह जापान के साथ मदद के लिए सामने आ सकता है तो आस्ट्रेलिया ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अहम लोकतांत्रिक देशों (भारत, इंडोनेशिया, जापान व आस्ट्रेलिया) को एक साथ काम करने का आह्रवान किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि सैन्य तैनाती में यह इजाफा सिक्किम सीमा के पास नहीं, बल्कि पश्चिम में शिनजियांग प्रांत के निकट उत्तरी तिब्बत में किया गया है। हालांकि यहां गौर करने वाली बात यह है कि बीजिंग यादोंग से लेकर ल्हासा तक फैले अपने रेल और सड़क नेटवर्क के जरिये इन सैन्य साजोसामान को सिक्किम सीमा के निकट नाथू-ला तक पहुंचा सकता है। चीनी सेना को अपने एक्सप्रेसवे नेटवर्क के जरिये करीब 700 किलोमीटर की यह दूरी तय करने में महज छह से सात घंटे का वक्त लगेगा।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने चीनी सेना के मुखपत्र पीएलए डेली के हवाले से लिखा है, 'अशांत तिब्बत और शिनजियांग प्रांत में पश्चिमी थिएटर कमांड ने उत्तरी तिब्बत में कुनलुन पर्वतों के दक्षिण में सैन्य साजोसामान भेजे हैं।' हालांकि पीएलए डेली ने यह कहीं नहीं बताया है कि साजोसामान की यह तैनाती उसके दो सैन्य अभ्यासों के लिए है।

सैन्य टिप्पणीकार झू चेंमिंग ने अखबार कहा, 'पीएलए (चीनी सेना) यह दिखाना चाहती है कि वह अपने पड़ोसी भारत को आसानी से हरा सकता है।' हालांकि दक्षिण एशिया के रणनीतिक विशेषज्ञ वांग देहुआ ने इसी अखबार से बातचीत में कहा कि 'यह सैन्य ऑपेरशन पूरी तरह से साजोसामान को लेकर है' और अभी तिब्बती इलाके में काफी बेहतर लॉजिस्टिक सपोर्ट मौजूद है।

देहुआ साथ ही कहते हैं कि इस पठार को बाकी के चीन से जोड़ने वाले तिब्बत-किंघाई रेलवे और नई सड़क नेटवर्क सहित इलाके के बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर की बदौलत पीएलए बेहद जल्दी और आसानी से इस सीमावर्ती इलाके में अपने सैनिक और साजोसामान भेज सकता है।

ममता बनर्जी का कहना है कि अगर सिक्किम पर चीन का कब्जा होता है तो दार्जिलिंग और चीन में ना के बराबर ही अंतर होगा जो कि खतरे की घंटी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन की गतिविधियां बढ़ने की बात कहते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है। उन्होंने इस मसले पर राजनाथ से टेलीफोन पर भी बातचीत की है।

राज्य सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री को पिछले हफ्ते पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि दार्जिलिंग में गोरखालैंड की मांग को लेकर चल रहे हिंसक आंदोलन के पीछे भी चीन की ही अति सक्रियता है। सोमवार को ममता ने राज्य विधानसभा में राष्ट्रपति चुनाव के मतदान के बाद संवाददाता सम्मेलन में पश्चिम बंगाल की पूर्वोत्तर सीमाओं में व्याप्त अशांति एवं दार्जिलिंग में जारी हिंसक आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि इसे चीन की शह मिल रही है।

मंगलवार को चीनी सरकार का मुखपत्र कहे जाने वाले 'ग्लोबल टाइम्स' ने धमकी भरे लहजे में लिखा था कि चीन टकराव के लिए तैयार है और डोकलाम के मुद्दे चीन युद्ध के लिए जाने से भी पीछे नहीं हटेगा अगर ऐसा हुआ तो भारत को यह टकराव भुगतना पड़ सकता है।

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने मंगलवार को भारत पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा था कि 16 जून को भारतीय सेना ने सिक्किम सेक्‍टर में सीमा पार करते हुए चीनी क्षेत्र में प्रवेश किया। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, 'भारत की यह कार्रवाई प्रत्यक्ष तौर पर चीनी संप्रभुता पर अतिक्रमण है। चीन को डोकलाम में बिना किसी झिझक के साथ अपने निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अपने सैनिकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी करनी चाहिए। चीन को आगे बढ़कर लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पर टकराव का मुकाबला करना चाहिए, भारत अगर कई जगहों से मुश्किलों का सामना कर रहा है तो उसे एलएसी पर भी टकराव का सामना करना होगा। चीन एक संप्रभु देश है और वह भारत के साथ किसी भी तरह के टकराव होने से नहीं डरता है और न ही किसी भी तरह के युद्ध से डरता है और खुद को इसके लिए तैयार करता है।'

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