किसानों की तो बेच देते जमीन, डिफाल्टरों पर क्यों नहीं कार्रवाई- हाईकोर्ट
याची ने कहा कि वर्तमान में देश में केवल 35 डीआरटी हैं जो सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज की वसूली का कार्य करते हैं।
चंडीगढ़, दयानंद शर्मा। सरकार एसडीएम के जरिये किसानों की जमीन बेचकर भी वसूली करा लेती है तो बडे़ कॉर्पोरेट से वसूली करने में इतनी ढील क्यों बरती जा रही है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस सवाल पर वित्त मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। केंद्र सरकार को 10 अगस्त तक जवाब दाखिल करना होगा।
एडवोकेट रणधीर बधरान की ओर से दायर याचिका में अधिवक्ता सुखविंदर सिंह नारा ने कहा कि भारत में बैंकों से पैसा लेकर वापस न करने की प्रवृत्ति वसूली के लिए बनाए गए डैब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनलों की धीमी सुनवाई के चलते बढ़ रही है। इसी का नतीजा है कि बैंकों से बड़ी राशि उठाने वाले इसका भुगतान नहीं करते हैं और बैंक डीआरटी में वसूली के लिए पहुंचते हैं। इस प्रक्रिया में 5-6 साल का समय लग जाता है। इस बीच बैंक और पार्टी आपस में समझौता कर लेते हैं या फिर आपस की सहमति की राशि अदा की जाती है। इससे लोगों का पैसा कई सालों तक इन कर्जदारों के पास रहता है और देश के विकास में इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
याची ने चंडीगढ़ में स्थापित डीआरटी 3 के फरवरी में आरंभ होने के बावजूद इसे काम नहीं देने को आधार बनाया है। याची ने कहा कि वर्तमान में देश में केवल 35 डीआरटी हैं जो सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज की वसूली का कार्य करते हैं। चंडीगढ़ में स्थापित तीसरा ट्रिब्यूनल फरवरी माह में स्थापित किया गया था। अध्यक्ष और स्टाफ की नियुक्ति भी कर दी गई लेकिन अब तक कोई काम नहीं दिया गया है।
सरकारी बैंकों के 100 खातों ने डूबो रखे हैं 172718 करोड़
याचिका के मुताबिक एक ओर तो किसानों से उनकी जमीन नीलाम करके वसूली की जा रही है वहीं दूसरी ओर 100 ऐसे खाते हैं जिन्होंने बैंकों का 172718 करोड़ रुपया डुबाया हुआ है और अभी तक उनसे इसकी वसूली नहीं की जा सकी है। इसका कारण यह है कि देश में केवल 35 डीआरटी हैं जिनपर इस पैसे की वसूली का भार है। नए डीआरटी को काम नहीं दिया जा रहा है।