.....कजरा मोहब्बत वाला, अंखियों में ऐसा डाला
भारी फजीहत के बाद आम आदमी पार्टी (आप) में हाशिए पर धकेल दिए गए पार्टी के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को आज भले अरविंद केजरीवाल की आंखों में सत्ता की मोटी चर्बी दिख रही हो, तानाशाही दिख रही हो लेकिन आयकर विभाग के इस पूर्व अधिकारी की
नई दिल्ली, [अजय पांडेय]। भारी फजीहत के बाद आम आदमी पार्टी (आप) में हाशिए पर धकेल दिए गए पार्टी के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को आज भले अरविंद केजरीवाल की आंखों में सत्ता की मोटी चर्बी दिख रही हो, तानाशाही दिख रही हो लेकिन आयकर विभाग के इस पूर्व अधिकारी की इन्हीं आंखों में इन नेताओं को पहले वैकल्पिक राजनीति की सारी संभावनाएं दिख रही थीं। इनके साथ काम कर चुके आप के पूर्व नेताओं का कहना है कि दरअसल, इन तमाम नेताओं पर कुछ अर्से पहले तक केजरीवाल का जादू सिर चढ़कर बोल रहा था। इनमें से किसी को शायद ही यह इल्म रहा हो कि उन्हें ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे।
बहरहाल, योगेंद्र इस पूरे मुद्दे पर बहुत ज्यादा बोलने से भले ही परहेज कर रहे हों लेकिन सच यह है कि आप से बाहर हुए तमाम नेताओं पर हिंदी का यह मशहूर गाना बिल्कुल सटीक बैठता है, जिसके बोल हैं- कजरा मोहब्बत वाला, अंखियों में ऐसा डाला, कजरे ने ले ली मेरी जान।
सवाल पूछने पर लाल हो जाती थीं केजरी की आंखें
केजरीवाल की मुखालफत कर, सबसे पहले आप छोडऩे वाले विनोद कुमार बिन्नी बताते हैं कि देखिए गलती किसी की नहीं है। चाहे योगेंद्र यादव हों, प्रशांत भूषण हों, प्रो. आनंद कुमार हों अथवा कोई और, इन तमाम लोगों ने केजरीवाल का साथ साफ-सुथरी राजनीति करने के लिए दिया था। बिन्नी कहते हैं कि अन्ना आंदोलन से सबको एक उम्मीद जगी थी लेकिन महज छह महीने में उन्हें यह यकीन हो गया कि इस पार्टी में तो केजरीवाल तानाशाही कर रहे हैं। जब कभी उनसे कोई सवाल पूछ लो तो उनकी आंखें लाल हो जाती थीं।
लिहाजा, जब मैंने विरोध का झंडा उठाया, उसी दिन मुझे यह यकीन हो गया कि अपनी बात खुलकर रखने वाले पार्टी से निकाले जाएंगे। बिन्नी ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि भूषण और यादव के बाद अगला नंबर डॉ. कुमार विश्वास का हो सकता है।
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बिन्नी कहते हैं कि जब केजरीवाल ने यह कहा कि मैं उनके पास मंत्री पद मांगने गया था, तब योगेंद्र यादव ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि बिन्नी सब कुछ हो सकता है लेकिन लालची नहीं हो सकता। बिन्नी बताते हैं कि आज जो नेता बाहर किए गए हैं उनकी साफगोई और अपनी बात ठोक कर कहने की आदत ही उनके लिए मुसीबत का सबब बन रही है।
राज्यसभा की तीन सीटें पाने की है लड़ाई
आप से बाहर हुए अश्विनी उपाध्याय कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सही है कि पार्टी में आज जो कुछ भी हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी कहीं न कहीं उन नेताओं की भी है जो आज केजरीवाल के विरोध में उठ खड़े हुए हैं। उनका यह भी कहना है कि असल में यह राज्यसभा की तीन सीटों और सत्ता में हिस्सेदारी की लड़ाई है।
हालांकि आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर किए गए अजीत झा कहते हैं कि देखिए, चर्चा का विषय यह नहीं होना चाहिए कि आज केजरीवाल इस प्रकार का व्यवहार क्यों कर रहे हैं और उन्हें समझने में हमसे कोई गलती हो गई। असल में किसी भी व्यक्ति में ऐसी प्रवृत्ति कभी भी आ सकती है।
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