देश में सामने आए जीका वायरस के तीन मामले, WHO ने की पुष्टि
विश्व स्वास्थय संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने गुजरात के अहमदाबाद में जीका वायरस के तीन मामलों की पुष्टि की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने पहली बार भारत में जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि की है। गुजरात के अहमदाबाद शहर में एक गर्भवती महिला समेत तीन लोग इस संक्रमण के शिकार पाए गए हैं। वैश्विक स्वास्थ्य संस्था डब्लूएचओ के अनुसार अहमदाबाद में पाए गए यह तीनों ही मामले शहर के बापूनगर इलाके के हैं।
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अहमदाबाद जिले के बापूनगर के इन तीनों मामलों की पुष्टि लैब परीक्षण के नतीजों में हुई है। जीका वायरस के तीन मामलों की पुष्टि के बाद हालांकि डब्लूएचओ ने पर्यटकों और व्यापारियों को फिलहाल भारत आने से नहीं रोका है। डब्लूएचओ के बयान के अनुसार अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कालेज में आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने के बाद लैब ने जीका वायरस होने की पुष्टि की। इसके बाद इस बीमारी की पुष्टि इस साल 4 जनवरी को पुणे की राष्ट्रीय स्तर की लैब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी (एनआइवी) ने कराया है।
डब्लूएचओ ने दो अन्य मामलों की पहचान एक्यूट फेबराइल इलनेस (एएफआइ) और एनटीनेटल क्लीनिक (एएनसी) सतर्कता से हुई है। पिछले साल 10-16 फरवरी के बीच संक्रमित खून के 93 नमूने लिए गए थे। इन्हें बीजे मेडिकल कालेज में एकत्र किया गया था। इसमें से एक 64 वर्षीय वृद्ध को जीका वायरस के लिए पॉजिटिव पाया गया है। इसीतरह बीजेएमसी में विगत 9 नवंबर को एक 34 वर्षीय महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था। अस्पताल में रहने के दौरान महिला को यह संक्रमण हुआ। उसे डिलेवरी के बाद हल्का बुखार हो गया। इससे पहले महिला को शिशु को जन्म देने के दौरान कभी बुखार नहीं हुआ था। इतना ही नहीं, जीका वायरस से संक्रमित होने के लक्षणों में हल्का बुखार, त्वचा का संक्रमण, आंखों का लाल होना, मांसपेशियों और हड्डी के जोड़ में दर्द, सिर दर्द आदि शामिल है। यह लक्षण सामान्यत: 2-7 दिनों तक रहते हैं।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार ने भी इन मामलों की पुष्टि की है। मार्च में ही डब्लूएचओ ने स्वास्थ्य मंत्रालय को यह जानकारी दी है। उल्लेखनीय है कि एडीज मच्छर के काटने से होने वाला संक्रमण अगर किसी गर्भवती महिला को होता है तो भ्रूण भी इस संक्रमण का शिकार हो सकता है। नतीजतन उस शिशु का दिमाग अल्पविकसित रह जाता है। डब्लूएचओ अब इन मामलों के लक्षणों की निगरानी करेगा। बताया जाता है कि इसमें डेंगू आदि रोगों से बचाव के उपाय ही काम करते हैं। इस बीमारी से बचने का अब तक कोई टीका नहीं बना है।
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