व्हिसिल ब्लोअर का नाम उजागर करने का आदेश वापस
प्रशांत भूषण को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रंजीत सिन्हा के खिलाफ आरोप को लेकर लोक प्रहरी (व्हिसिल ब्लोअर) का नाम उजागर करने का गत 15 सितंबर का अपना आदेश वापस ले लिया। भूषण ने अपनी मजबूरी जताते हुए कहा था कि वे व्हिसिल ब्लोअर का नाम नहीं बता
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रशांत भूषण को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रंजीत सिन्हा के खिलाफ आरोप को लेकर लोक प्रहरी (व्हिसिल ब्लोअर) का नाम उजागर करने का गत 15 सितंबर का अपना आदेश वापस ले लिया। भूषण ने अपनी मजबूरी जताते हुए कहा था कि वे व्हिसिल ब्लोअर का नाम नहीं बता सकते क्योंकि ऐसा करने से उसकी जान को खतरा हो सकता है। यही नहीं, यह विश्वास तोड़ने के समान होगा क्योंकि उन्हें इस विश्वास के साथ सूचना दी गई थी कि वे सूचना देने वाले का नाम उजागर नहीं करेंगे।
कोर्ट ने इस पर विशेष लोक अभियोजक आनंद ग्रोवर से राय मांगी थी। उन्होंने राय दी थी कि संबंधित दस्तावेजों की जांच के बाद सूचना विश्वसनीय पाई गई, लिहाजा व्हिसिल ब्लोअर का नाम बताना जरूरी नहीं है। सिन्हा के वकील विकास सिंह व्हिसिल ब्लोअर का नाम उजागर किए बगैर मामले में सुनवाई का विरोध कर रहे थे।
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भेदिया नहीं रस्तोगी
सुप्रीम कोर्ट ने रंजीत सिन्हा की ओर से सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी संतोष रस्तोगी पर लगाए गए भेदिया होने के आरोप को नकारते हुए उन्हें क्लीनचिट दे दी। कोर्ट ने कहा, प्रशांत भूषण का हलफनामा देखने के बाद सीबीआइ निदेशक की ओर से रस्तोगी पर लगाए गए आरोप सही नहीं लगते। कोर्ट रस्तोगी को आरोप से मुक्त करता है।
इससे पहले सीबीआइ के वकील केके वेणुगोपाल ने आरोप पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह के निराधार आरोप लगाकर किसी अधिकारी का करियर खराब नहीं किया जा सकता। अगर सीबीआइ निदेशक के पास अधिकारी के खिलाफ कोई सुबूत हो तो वे पेश करें। सिन्हा के वकील ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में संतोष रस्तोगी को भेदिया बताते हुए आरोप लगाया था कि रस्तोगी ने ही भूषण को सूचनाएं और दस्तावेज दिए होंगे।