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जानें बजट 2020-21 को लेकर कैसी है इनकी उम्‍मीदें, वित्‍तमंत्री के लिए भी है चुनौती

निर्मला सीतारमण के बजट से आम आदमी समेत उद्योग जगत को काफी उम्‍मीदें हैं। सभी देश की अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी देखना चाहते हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 03:56 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 11:42 PM (IST)
जानें बजट 2020-21 को लेकर कैसी है इनकी उम्‍मीदें, वित्‍तमंत्री के लिए भी है चुनौती
जानें बजट 2020-21 को लेकर कैसी है इनकी उम्‍मीदें, वित्‍तमंत्री के लिए भी है चुनौती

नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल। आर्थिक फ्रंट पर मुश्किलों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अपना दूसरा बजट पेश कर रही हैं। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 5% रहने की उम्मीद है, जो 2018-19 में दर्ज 6.8% की तुलना में काफी कम है। इसके अलावा, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी के बढ़ते स्तर, निजी निवेश में बड़ी कमी समेत आर्थिक मोर्चे पर मौजूद अन्य चुनौतियां के बीच वित्त मंत्री के लिए यह बजट पेश करना थोड़ा मुश्किल जरूर है। आर्थिक मुश्किलों से निकलने के साथ ही 2025 तक भारत का 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने का सपना भी काफी कुछ इस बार के बजट पर निर्भर करता है।

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एक आम आदमी के नजरिये की बात करें तो वह अपनी जरूरतों की चीजों की कीमतों में कमी चाहता है। वहीं दूसरी तरफ उद्योग कहीं टैक्‍स में छूट चाहता है तो कहीं व्‍यापार के लिए ढांचागत सुविधाएं चाहता है। इन सभी की मनोदशा को जानते और भांपते हुए सरकार देश की अर्थव्‍यवस्‍था को गति देना चाहती है। हम सब ये भी जानते हैं कि वित्‍तमंत्री को इनसे ही कोई बीच का रास्‍ता निकालना होगा। गौरतलब है कि किसी भी अर्थव्‍यवस्‍था की नींव उस देश का उद्योग जगत ही तैयार करता है। यदि कहा जाए कि वही मांग और पूर्ति का भी जनक है तो गलत नहीं होगा। ऐसे में बजट 2020-21 को लेकर उद्योग जगत क्‍या सोच रहा है इसको भी जानना बेहद जरूरी है। 

माउंट टैलेंट प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक कुणाल गुप्ता का मानना है कि आगामी बजट सत्र में अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार को लेकर भारत कई अहम फैसले ले सकता है। सुनने में भले ही ये अटपटा सा लगे लेकिन अर्थव्‍यवस्‍था में आई 1 फीसद की बढ़ोतरी भी देश में तीन करोड़ नौकरियों का सृजन करती है। भारत को भी इस समय में ऐसे ही कड़े फैसले की जरूरत है जो देश की तरक्‍की की राह खोल सकें। कुणाल को उम्‍मीद है कि आगामी बजट में निर्यात क्षेत्र को प्रोत्‍साहन देने का भी कदम वित्‍तमंत्री की तरफ से जरूर उठाया जाएगा। वर्तमान की बात करें तो यह वैश्विक स्तर पर केवल 1.7 फीसद ही है। लिहाजा यदि बजट में इन दो क्षेत्रों में ध्‍यान दिया जाता है तो अर्थव्यवस्था में काफी सकारात्‍मक बदलाव देखा जा सकता है। नई नौकरियों के अवसर सामने आने पर देश के अंदर पैसे का फ्लो बना रहेगा जो अर्थव्‍यस्‍था को मजबूती दे सकता है। 

एक फरवरी को घोषित किए जा रहे है बजट को लेकर extraclass.com के संस्थापक और सीईओ, प्रशंजीत मानते हैं कि सरकार को शिक्षा बजट के साथ-साथ शिक्षा गुणत्व, शिक्षा पर कर और कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वर्तमान समय में युवाओं में नौकरी और उनके भविष्य के प्रति बड़ा बदलाव देखा गया है। इसी बदलाव और भविष्य में नौकरी की आवश्यकताओं को देखते हुए, केंद्र सरकार को शिक्षा नीतियों में बदलाव लाना होगा ताकी शिक्षा के दिशा में हम भारत को नई ऊँचाई दे सकें। 

सेंट्रल सेक्रेट्रिएट सर्विसेज ऑफिसर्स सोसाएटी की अध्‍यक्ष नेह श्रीवास्‍तव मानते हैं कि सरकार के पास अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का ये एक सुनहरा अवसर है। उनका मानना है कि केंद्र सरकार को रियल स्टेट सेक्टर के अटके हुए फंड्स को जारी करना चाहिए। ये अर्थव्यवस्था में विकास को लाने के लिए काफी महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। उन्‍हें उम्मीद है कि केंद्र सरकार रियल एस्टेट के विभिन्न इकाइयों को भी राहत प्रदान करेगी ताकि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सीमेंट और अन्य मुख्य क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।अर्थव्‍यवस्‍था की बेहतरी के लिए केंद्र को आयकर अधिनियम, कर्तव्यों और उधार दरों को और बेहतर बनाना चाहिए।  


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