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मादक पदार्थो को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए

पिछले वर्ष बचपन बचाओ आंदोलन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह छह महीने के भीतर सर्वे करके राष्ट्रीय डेटा बेस बनाए।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Tue, 19 Sep 2017 10:22 PM (IST)Updated: Tue, 19 Sep 2017 10:22 PM (IST)
मादक पदार्थो को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए
मादक पदार्थो को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि उसने मादक पदार्थो के दुष्प्रभाव के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने और उसकी आपूर्ति रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने सरकार से इस बावत रिपोर्ट मांगी है।

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सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश मादक पदार्थो के दुष्प्रभाव के प्रति जागरुकता फैलाने, जांच का तंत्र मजबूत करने और इनकी सप्लाई करने वाले ड्रग्स पैडलर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। तमिलनाडु के रहने वाले जगदीश्वर रेड्डी ने यह जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, असम, तेलंगाना, गोवा, राजस्थान और बिहार राज्य सहित 18 लोगों को पक्षकार बनाया गया है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील डी महेश बाबू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2016 को बचपन बचाओ आंदोलन केस में मादक पदार्थो के बारे में फैसला दिया था लेकिन सरकार उस फैसले पर अमल करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में दखल दे। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल मनिंदर सिंह से कहा है कि वे सरकार द्वारा इस संबंध में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करें।

पिछले वर्ष बचपन बचाओ आंदोलन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह छह महीने के भीतर सर्वे करके राष्ट्रीय डेटा बेस बनाए। तुरंत विचार करने योग्य मामलों को लेकर चार महीने के भीतर विस्तृत राष्ट्रीय योजना बनाए और उसे लागू करे। एनईपी के तहत स्कूलों के पाठ्यक्रमों में इसे शामिल करे।

याचिका में कहा गया है कि पिछले साल संसद में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक देश में रोजाना नशीले पदार्थो जैसे शराब आदि की वजह से दस लोग खुदकुशी कर लेते हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक महाराष्ट्र मध्यप्रदेश, केरल और तमिलनाडु में नशीले पदाथरें के कारण सबसे ज्यादा आत्महत्याएं होती हैं। कहा गया है कि आंध्र प्रदेश ओडीसा तेलंगाना छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में सर्तकता की कमी के चलते गांजा की अवैध खेती बढ़ती जा रही है। रोजगार और संसाधनों की कमी के चलते लोग जंगल में ये खेती कर रहे हैं। याचिका में राज्यों में पब और हुक्का बार पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।

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