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गांधी जयंती विशेष: क्या हुआ जब गांधी जी ने पहली बार खाया 'नॉनवेज' ?

किताब के जरिए गांधी बताते हैं कि 'एक बार मेरा एक दोस्त मुझे वेश्यालय ले गया। उसने जरूरी निर्देश देकर मुझे अंदर भेज दिया।

By Atul GuptaEdited By: Published: Sat, 01 Oct 2016 09:30 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2016 07:47 AM (IST)

नई दिल्ली। महात्मा गांधी के बारे में एक बार महान वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने कहा था ''आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात पर विश्वास कर सकेंगी कि हाड-मांस का बना हुआ ऐसा पुतला भी कभी इस धरती पर विचरण करता था।''

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आइंस्टाइन के ये शब्द शायद आज भी उतने ही सच हैं क्योंकि गांधी जी की शख्सियत और उनके विचार आज भी प्रसंगिक हैं। सत्य और अहिंसा का पाठ पूरी दुनिया को पढ़ाने वाले गांधी हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके विचार आज भी देश और दुनिया के करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं। आइए आज हम आपको महात्मा गांधी की किताब 'सत्य के प्रयोग' से कुछ चुनिंदा किस्से सुनाते हैं।

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बचपन में फेंकी हुई सिगरेट उठाकर पीते थे गांधी

अपनी किताब सत्य के प्रयोग में गांधी बताते हैं कि 'सिगरेट के टुकड़े हमेशा मौजूद नहीं होते थे और उनसे ज्यादा धुंआ भी नहीं निकलता था। तो हम भारतीय सिगरेट खरीदने के लिए नौकर के जेबखर्च का पैसा चुराने लगे। उस पैसे से हम कई हफ्तों तक सिगरेट पीने लगे। फिर हमें पता चला कि किसी एक पेड़ का पतले तने में छेद होते हैं और उसे सिगरेट की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.। हम वह पेड़ भी ले आए और इस तरह का धूम्रपान करने लगे'।

क्या हुआ जब दोस्त के साथ वेश्यालय पहुंच गए गांधी?

किताब के जरिए गांधी बताते हैं कि 'एक बार मेरा एक दोस्त मुझे वेश्यालय ले गया। उसने जरूरी निर्देश देकर मुझे अंदर भेज दिया। सब कुछ पहले से ही तय था। पैसे भी पहले ही चुका दिए गए थे। मैं पाप के पंजे में पहुंच चुका था। पर ईश्वर की असीम दयालुता ने मुझे मुझ से ही बचा लिया। मैं लगभग एक गूंगे और अंधे की तरह महसूस कर रहा था। मैं खामोशी से उस महिला के बिस्तर पर उसके पास जाकर बैठ गया। उसे स्वाभाविक रूप से गुस्सा आ गया और मेरी बेइज्जती करते हुए उसने मुझे बाहर निकाल दिया। तब मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी मर्दानगी पर चोट की गई है। मैं शर्म से जमीन में गड़ा जा रहा था। पर मैं खुद को बचा लेने के लिए ईश्वर का शुक्रगुजार भी था।

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जब गांधी जी ने पहली बार खाया 'नॉनवेज'

गांधी पहली बार नॉनवेज खाने की कहानी भी बताते हैं। गांधी के मुताबिक जब पहली बार उन्होंने नॉनवेज खाया तो पूरी रात वो सो नहीं सके। उन्हें रह रहकर ये लग रहा था कि उनके अंदर एक जिंदा बकरी मौजूद है। दिलचस्प बात ये है कि इसके बावजूद उन्होंने करीब 5 से 6 बार नॉनवेज खाने की कोशिश की।

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