NSG पर उम्मीदें परवान चढ़ी, प्रमुख विरोधी चीन को मनाने में जुटा भारत
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमें उम्मीद है कि एनएसजी को लेकर हम चीन को भी मना लेंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। परमाणु तकनीकी कारोबार से जुड़े देशों के प्रतिष्ठित समूह एनएसजी का सदस्य बनने को लेकर भारत की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी हैं। एनएसजी के वोटिंग के लिए जैसे जैसे समय करीब आता जा रहा है भारत ने भी हर कूटनीतिक दांव आजमाने लगा है।
भारत समझ गया है कि उसके और एनएसजी का सदस्यता हासिल करने के बीच सबसे बड़ी अड़चन चीन है। इसलिए चीन को मनाने की हरसंभव कोशश हो रही है और इसके लिए विदेश सचिव एस जयशंकर ने चुपचाप पिछले हफ्ते बीजिंग की यात्रा कर आये हैं। शायद यही वजह है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज यह दावा कि चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध नहीं कर रहा है।
सरकार के दो वर्ष पूरा होने पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से यह एनएसजी में भारत की दावेदारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि हमें उम्मीद है कि हम चीन को भी मना लेंगे। क्योंकि चीन भारत की उम्मीदवारी का विरोध नहीं कर रहा है बल्कि वह उन नियमों की बात कर रहा है जिसके आधार पर सदस्य बनाये जाते हैं। भारत परमाणु मुद्दे पर अपनी साख के आधार पर एनएसजी में शामिल होना चाहता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत तमाम अवरोधों को पार कर इस बार एनएसजी का सदस्य बनने में सफल रहेगा।
पढ़ेंः NSG: ड्रैगन को साधने के लिए विदेश सचिव ने किया था चीन का दौरा
स्वराज ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत किसी भी दूसरे देश को एनएसजी में शामिल होने का विरोध नहीं करेगा। पाकिस्तान का भी नहीं।सूत्रों के मुताबिक पिछले एक हफ्ते से भारत की कूटनीति एनएसजी के आस पास घूम रही है। विदेश मंत्री स्वयं 23 देशों के साथ संपर्क में हैं। विदेश सचिव पिछले हफ्ते गुरुवार और शुक्रवार को बीजिंग गये थे और उन्होंने चीन को मनाने की पूरी कोशिश की है। माना जा रहा है कि एनएसजी वोटिंग की वजह से ही भारत ने हाल के कुछ हफ्तों से साउथ चाइन सी मुद्दे को भी उठाना बंद कर दिया है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने नए सिरे से भारत को समर्थन दे कर भारतीय खेमा को उत्साहित कर दिया है।
एक समाचार पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में पुतिन ने कहा है कि वह भारत के एनएसजी में शामिल होने का पूरा समर्थन करते हैं और वह इस बारे में अन्य देशों से भी बात करेंगे। पुतिन ने कहा है कि भारत की दावेदारी को लेकर वह चीन से भी बात करेंगे।सनद रहे कि भारत ने अपनी आक्रामक कूटनीति की वजह से एनएसजी में उसकी दावेदारी का विरोध करने वाले कई देशों का समर्थन हासिल कर चुका है।
मसलन, स्विटजरलैंड, मैक्सिको, न्यूजीलैंड जैसे देश शामिल हैं। एनएसजी में 48 सदस्य देश हैं और किसी भी बाहरी देश को इसमें शामिल करने के लए हर सदस्य देश का समर्थन चाहिए। एनएसजी में शामिल होने से भारत के लिए परमाणु तकनीकी को हासिल करना आसान हो जाएगा जिससे वह अपनी ऊर्जा की जरुरत को पूरा कर सकेगा।