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गर्मी की मार : दो शहरों की एक सी कहानी, सूखे हलक और प्यासी टंकियां

पीने के पानी का संकट जिस तरह गहरा रहा है। वो आने वाले खतरे को बयां करने के लिए पर्याप्त है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 02:44 PM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 04:02 PM (IST)
गर्मी की मार : दो शहरों की एक सी कहानी, सूखे हलक और प्यासी टंकियां

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । करीब तीस साल पहले तक पानी के लिए उतनी मारामारी नहीं मचती थी जितनी आज है। ये हो सकता है कि शहरों के नाम अलग हों, लोग अलग हों, तहजीब अलग हो, भाषा अलग हो लेकिन पीने के पानी की कमी का सामना कर रहे लोगों का दर्द एक जैसा है। सुबह का नाश्ता बनाने से पहले इस संकट से हर रोज सामना होता है कि क्या पानी मिलेगा। देश की राजधानी दिल्ली हो या यूपी का नवाबी शहर लखनऊ पानी की टंकियों के सामने लंबी लंबी भीड़, लोग बेहाल, एक दूसरे के साथ धक्कामुक्की की तस्वीरें सुर्खियां बटोर रही हैं।  

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प्यासी दिल्ली !

पटेल नगर, बलजीत नगर व मंदिर मार्ग के निवासियों को रोजाना पानी भरने के लिए रतजगा करना पड़ा रहा है। मजबूरी में 100 रुपये में 20 लीटर पानी खरीदना पड़ रहा है। इसकी आड़ में कुछ लोग मनमाने दामों पर पानी बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। दिनभर बुजुर्ग व महिलाओं से लेकर बच्चे खाली बाल्टियां लेकर पानी की आस में घूमते नजर आ जाएंगे। अगर गलती से कभी पानी का टैंकर आ भी जाता है तो वहां पानी भरने को लेकर आपस में हाथापाई तक हो जाती है।


सुलभ शौचालय से भरकर लाते हैं पानी

स्थानीय निवासियों की मानें तो वे पटेल नगर मेट्रो स्टेशन पर स्थित सुलभ शौचालय से पानी भरकर ला रहे हैं, जिसे वे नहाने-धोने से लेकर खाना बनाने के के काम में लेते हैं। यह उनकी अब दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। लोगों का कहना है पानी का टैंकर संकरी गलियों में नहीं आ पाता है। लोगों को कभी-कभार तो अपने रिश्तेदारों के यहां जाकर कपड़े धोने पड़ते है।

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पानी की पाइपलाइन पड़ी है सूखी

मंदिर मार्ग पर पानी की पाइपलाइन पूरी तरह से सूखी पड़ी है। जल बोर्ड के अधिकारियों ने पानी के कम प्रेशर को जांचने की कोशिश भी की, मगर कुछ भी हाथ नहीं लगा है। दरअसल, इस मार्ग पर सड़क के दोनों और पानी की पाइपलाइन है। एक तरफ दो इंच की दो लाइन है और दूसरी ओर चार इंच की लाइन है। पटेल नगर बूस्टर पंप से जो जलापूर्ति की जाती है, वह यहां तक नहीं पहुंच पाती है। इसका बड़ा कारण मुख्य मार्ग से इलाके का लगभग 25 फुट की ऊंचाई पर होना है। ऐसे में पानी का प्रेशर बिल्कुल भी नहीं बन पाता है।


समस्या का समाधान दूर, कागजों को पुलिंदा हुआ इकट्ठा

यहां पानी की समस्या एक-दो नहीं, विगत कई साल से बनी हुई है। गर्मी शुरू होते ही यह विकराल रूप ले लेती है। इसके समाधान के लिए लोग संबंधित निकाय और जनप्रतिनिधियों को तमाम पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अब वे पत्र फाइलों में धूल फांक रहे हैं।

क्या कहती है दिल्ली

बलजीत नगर विकास परिषद के अध्यक्ष फतेह सिंह महरोलिया का कहना है कि कोई भी हमारी समस्या को सुनने के लिए तैयार नहीं है। अब बस कागजों की फाइल इधर-उधर लेकर भटकते हैं कि कोई तो पानी की समस्या का समाधान कर दें।


80 वर्ष की उम्र में पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। बच्चों की आधी से ज्यादा कमाई पानी लाने में खर्च हो रही है। दिल्ली जल बोर्ड व जनप्रतिनिधियों के कानों में जू भी नहीं रेंग रही है- सुमित्रा


एक माह से घर का बजट बिगड़ गया है। परिवार बड़ा होने की वजह से अब तक लगभग 10 हजार रुपये पानी खरीदने में ही खर्च हो गए हैं। नहाने से लेकर खाना बनाने का पानी बाजार से खरीदकर लाया जा रहा है, लेकिन जलबोर्ड यहां की समस्या के समाधान पर ध्यान नहीं दे रहा है- शांता देवी


एक तो पीने का पानी नहीं आता है, ऊपर से बिजली का बिल और बढ़ कर आने लगा है। पानी की आस में कई बार मोटर चलानी पड़ रही है। हमारी मांग है कि पटेल नगर बूस्टर पंप पर जो 60 हार्स पावर की मोटर लगी है, उसे 100 की लगाई जाए। तब ही पानी की समस्या से निजात मिल सकेगी- फतेह सिंह महरोलिया
 

नवाबों के शहर में पानी की कमी

लखनऊ के आशियाना में एक माह से पानी का संकट है। यही हाल आलमबाग से जुड़े इलाकों समेत शहर के दूसरे इलाकों का भी है। लेकिन यह संकट पानी बचाने में हमारी कंजूसी और अधिक जल दोहन की वजह से हुआ है। इसका असर यह हुआ है कि नलकूप भी बेकार होने लगे हैं। एक तरफ जरूरत के अनुसार बीस एमएलडी (20 मिलियन लीटर डेली) पेयजल की कमी है तो दूसरी तरफ पाइप की लाइनों में लीकेज से उत्पादन के सापेक्ष 20 प्रतिशत पानी बर्बाद हो रहा है। जिससे कई इलाकों में सुबह से ही लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।


सुबह से पानी के लिए मारामारी

राजेंद्रनगर, बिरहाना, राजाजीपुरम ई-ब्लाक, लालबाग, खंदारी बाजार, कैंट रोड, कैसरबाग और मॉडल हाउस में शिवनगर खदरा और आजाद नगर, विभवखंड, विक्रांत खंड, विजयंत खंड, आलमबाग के चंदर नगर, ओमनगर, सरदारी खेड़ा, श्रंगार नगर, पटेल नगर, आलमबाग थाना, भिलावां, भीमनगर, कुरियाना, कृष्णानगर और उससे जुड़े इलाके जे पार्क, नारायन पुरी और इंद्रपुरी, पुराने शहर के गढ़ी पीर खां में बेलू का हाता, यासीनगंज, बजरिया, मस्जिद रोड, गुलाब की बगिया,मौअज्जमनगर, चौपटियां के रानी कटरा, फाटक जियालाल चौपटिया रोड, अब्दुल अजीज रोड, कश्मीरी मोहल्ला, सआदतगंज, लकड़मंडी, कटरा बीबी गंज, काजमैन, मंसूरनगर, महमूद नगर, राधाग्राम, मुसाहिबगंज, अली कॉलोनी, मुफ्तीगंज, बाबा बालक दास पुरम, नैपियर रोड, पीर पुखारा, हुसैनाबाद, हाता मीर अली खां, रामनगर, मालापुरम, बरौरा हुसैनाबाड़ी, मल्लपुर, इंदिरानगर सी एवं डी ब्लाक, सेक्टर नौ और बारह।


आलमबाग क्रिटिकल जोन

पेयजल संकट की दृष्टि से आलमबाग को क्रिटिकल जोन में रखा गया है। वजह क्षेत्र की जलापूर्ति नलकूपों पर आधारित है और वहां नए नलकूप लगाने की कोई जगह नहीं है।

 लखनऊ में पानी की खपत

45 लाख की आबादी

मानक 150 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन

ऐशबाग प्रथम जलकल की क्षमता 215 एमएलडी है जबकि उत्पादन 190 एमएलडी है। 

द्वितीय जलकल की क्षमता 200 एमएलडी उत्पादन 160 एमएलडी है। 

तृतीय जलकल की क्षमता 80 एमएलडी है उत्पादन 76 एमएलडी है। 

 

अब समय आ चुका है कि जब हम एक दूसरे में दोष निकालने की जगह जल संरक्षण के लिए एक साथ मिलकर काम करें। 

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