Justice delayed: लंबा होता जा रहा इंसाफ का इंतजार, अदालतों में 30 साल से अटके पड़े हैं एक लाख से ज्यादा मुकदमे
बंगाल में मालदा के सिविल जज की अदालत में दो दीवानी मुकदमे 71 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं। वहीं समय बीतने के साथ लंबित मुकदमों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।देश की जिला अदालतों में लंबित एक लाख से ज्यादा मुकदमे 30 साल से ज्यादा पुराने हैं।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। बंगाल में मालदा के सिविल जज की अदालत में दो दीवानी मुकदमे 71 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं। 1952 में दाखिल हुए ये मुकदमे शायद देश के सबसे पुराने मुकदमे हैं। इनमें से एक केस बंटवारे का है और दूसरा सामान्य दीवानी मुकदमा है।
देश की जिला अदालतों में कितने लंबित मामले?
साल 1953 के भी दो मुकदमे लंबित हैं, जिनमें एक बंगाल में और दूसरा उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है। ये दोनों मुकदमे भी दीवानी हैं। समय बीतने के साथ लंबित मुकदमों की संख्या भी बढ़ती जाती है। इस वक्त देश की जिला अदालतों में लंबित एक लाख से ज्यादा मुकदमे 30 साल से ज्यादा पुराने हैं। अगर 20 साल से 30 साल के बीच के लंबित मुकदमों को देखा जाए तो संख्या सवा पांच लाख से ज्यादा है।
न्यापालिका के लिए चुनौती है पुराने मुकदमो को निपटाना
मालूम हो कि इन पुराने मुकदमो को निपटाना न्यायपालिका और पूरे सिस्टम के लिए बड़ी चुनौती है। इनमें से कुछ के मूल मुकदमेदार नहीं बचे होंगे तो कुछ में दस्तावेज का चक्कर फंसा होगा। कुछ में ऊंची अदालतों के स्थगन आदेश बेड़ियां बने हैं। अगर अदालतों के कुल बोझ पर निगाह डालें तो देशभर की अदालतों में 4.3 करोड़ मुकदमे लंबित हैं। इनमें 3.2 करोड़ क्रिमिनल केस हैं और एक करोड़ नौ लाख दीवानी मुकदमे हैं।
देश में कितने खाली हैं जजों के पद?
इन मुकदमों को निपटाने का जिम्मा देश की अधीनस्थ अदालतों के करीब 25 हजार जजों पर हैं, जिनमें से इस समय लगभग पांच हजार पद खाली हैं। एक कहावत है- न्याय में देरी वास्तविक रूप से न्याय नहीं मिलने जैसा है। परेशानी यह है कि न्यापालिका में आरक्षण, जजों की नियुक्ति जैसे मुद्दे को लेकर तो बहस होती है, लेकिन त्वरित न्याय मुद्दा नहीं बन पा रहा है।
बंगाल में 22 लाख से ज्यादा क्रिमिनल केस लंबित
अगर देश के सबसे पुराने मुकदमे को देखा जाए तो बंटवारे का वह मुकदमा चार अप्रैल, 1952 को दाखिल हुआ था। उसमें सुनवाई की अगली तारीख 13 जून 2023 लगी है। मालदा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में यह मुकदमा लंबित है। बंगाल में 28.55 लाख से ज्यादा केस लंबित हैं, जिनमें 22 लाख से ज्यादा क्रिमिनल केस हैं। इनमें 16,500 से ज्यादा केस 30 साल से ज्यादा पुराने हैं।
उत्तर प्रदेश में इतने मामले तीस साल पुराने
उत्तर प्रदेश में 40 हजार से ज्यादा केस 30 साल से ज्यादा पुराने हैं और सवा दो लाख से ज्यादा केस 20 से 30 साल पुराने हैं। दिल्ली जो कि देश की राजधानी है और जहां सारे सुधार सबसे पहले लागू होते हैं और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट दोनों जहां मौजूद हैं वहां भी 65 केस 30 साल से ज्यादा पुराने हैं।
दिल्ली का सबसे पुराना केस 1972 से लंबित
दिल्ली का सबसे पुराना केस तीसहजारी कोर्ट में 1972 से लंबित है। इस केस का नवीनतम आदेश देखा जाए तो पता चलता है कि मामले में सीपीसी के आदेश 22 नियम 4 के तहत एक अर्जी लंबे समय से लंबित है। यह नियम केस के किसी पक्षकार की मौत हो जाने पर उसके कानूनी वारिसों को पक्षकार बनाए जाने की प्रक्रिया से संबंधित है। गत 21 मार्च को हुई सुनवाई में एक पक्षकार की ओर से मुख्य वकील के मौजूद न होने के आधार पर सुनवाई का स्थगन मांगा गया था।
कितने पुराने हैं कितने केस-
0 से एक साल पुराने | 1,41,51,433 |
5 से 10 साल पुराने | 75,75,095 |
10 से 20 साल पुराने | 33,55,956 |
20 से 30 साल पुराने | 5,26,569 |
30 साल से ज्यादा पुराने | 1,04,853 |
कुल लंबित मुकदमे | 4,34,38,162 |
किस स्तर पर कितने मामले लंबित-
- सर्विस की स्टेज पर, जैसे पेशी, दस्तावेज, रिकार्ड सप्लाई आदि स्तर पर- 1,75,82,307 मुकदमे
- कंप्लायंस रिपोर्ट, रिकार्ड आदि के इंतजार में हैं- 39,99,801 मुकदमे
इनमें स्थगन भी शामिल हैं-
- साक्ष्य, बहस और फैसले के स्तर पर लंबित- 1,42,02,387 मुकदमे
- फैसले के स्तर पर- 1,57,873 मुकदमे
- आदेश के स्टेज पर- 8,18,759 मुकदमे
- मुकदमे प्लीडिंग, विवादित बिंदु और आरोप के स्तर पर लंबित- 41,93,409 मुकदमे
30 साल से ज्यादा पुराने मुकदमे
बिहार | 12,400 से ज्यादा |
झारखंड | 370 |
मध्य प्रदेश | 60 |
उत्तराखंड | 01 |