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माल्या की जगह बी.एम. फारूख को राज्यसभा भेजने की तैयारी में JDS

जेडीएस राज्यसभा सीट के लिए अब शराब कारोबारी विजय माल्या की जगह पर रीयल एस्टेट डेवलपर बी.एम. फारूख को राज्यसभा भेजने की तैयारी में है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 27 May 2016 02:23 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2016 08:34 AM (IST)
माल्या की जगह बी.एम. फारूख को राज्यसभा भेजने की तैयारी में JDS

बेंगलुरू। राज्यसभा के उम्मीदवार की घोषणा के लिए गुरुवार को जेडीएस के नेता बेंगलुरू के एक आलीशान रिजॉर्ट में एकजुट हुए। पार्टी की अब तक ये पारंपरिक नामांकन व्यवस्था रही है कि वो राज्यसभा किसी बड़े व्यवसायी को ही भेजते हैं। इससे पहले एमएएम रामास्वामी को मशहूर शराब कारोबारी विजय माल्या को राज्यसभा भेजा है।

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लेकिन, बैंक को लॉन की रकम चुका ना पाने के कारण विजय माल्या का पासपोर्ट रद्द हो चुका है और माल्या ने राज्सभा से अपना इस्तीफा भी दे दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि खाली हुई राज्यसभा सीट को भरने के लिए जेडीएस रीयल एस्टेट कारोबारी बीएम फारूख का नाम आगे बढ़ा सकती है।

एनडीटीवी डॉट कॉम की ख़बर के मुताबिक फारूख ने बेंगलुरू के अफने फिजा समूह के ऑफिस में बातचीत के दौरान बताया कि वो एक संपन्न व्यवसायी है और उनका जेडीएस के एच.डी. देवगौड़ा और एच.डी. कुमारस्वामी के काफी करीबी संबंध है।

उन्होंने बताया- “जेडीएस कन्नड़ उम्मीदवार को राज्यसभा भेजना चाहती है। अब क्षेत्रीय राजनीतिक में ही भविष्य है। मैं कुमारस्वामी और एच.डी. देवगौड़ी से काफी करीब से जुड़ा हुआ है।”

लेकिन, जेडीएस नेताओं की ये बैठक बिना किसी फैसले के अंतर्विरोध के साथ खत्म हो गई। राज्यसभा की दौड़ में चल रहे जेडीएस नेता दानिश अली ने बैठक मे खुलेआम दावा किया कि पार्टी पैसे के आगे प्रभावित हो रही है और वहां से उठकर चले गए।

उन्होंने गुस्से में कहा कि मेरी पार्टी की तरफ से मेरे अलावा कोई और राज्यसभा के लिए उम्मीदवार नहीं है। अगर मुझे नहीं भेजा गया तो इसका मतलब हुआ कि पैसे की बदौलत वो फैसला लिया गया।

जेडीएस के 40 विधायक है और उसके छह राज्यसभा सदस्य होने चाहिए।

उधर, कुमारस्वामी ने अली की तरफ से लगाए गए आरोप को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उन्होंने फारूख के हाथों कोई सीट नहीं बेची है। लेकिन, पार्टी में इस अंतर्विरोध के चलते फिलहाल फारूख के नाम की घोषणा को टाल दिया गया है। कुछ लोगों का कहना है कि ये केवल औपचारिकता भर है। उन्हें कुछ समय दिया गया है ताकि वे अन्य पार्टियों के नेताओं से थोड़ा-बहुत समर्थन हासिल कर लें।


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