Move to Jagran APP

परिक्रमा को लेकर विहिप ने बिछाई दोहरी बिसात

विश्व हिंदू परिषद की अयोध्या में 25 अगस्त से प्रस्तावित चौरासी कोसी परिक्रमा में राम भक्तों को पहुंचाने के लिए फ्रंट-बैक रणनीति बनाई है। इसे भेदना सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए आसान नहीं होगा। साधु-संतों के जत्थे पीछे रहेंगे, जबकि संघ परिवार के कार्यकर्ताओं की टीमें संतों को कवर करते हुए फ्रंटलाइन पर रहेंगी।

By Edited By: Published: Sat, 24 Aug 2013 08:51 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2013 08:53 AM (IST)

एटा [अनिल गुप्ता]। विश्व हिंदू परिषद की अयोध्या में 25 अगस्त से प्रस्तावित 84 कोसी परिक्रमा में राम भक्तों को पहुंचाने के लिए फ्रंट-बैक रणनीति बनाई है। इसे भेदना सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए आसान नहीं होगा। साधु-संतों के जत्थे पीछे रहेंगे, जबकि संघ परिवार के कार्यकर्ताओं की टीमें संतों को कवर करते हुए फ्रंटलाइन पर रहेंगी।

loksabha election banner

पढ़ें: अयोध्या की सभी सीमाएं सील, कई नेताओं के खिलाफ वारंट जारी

गिरफ्तारी की नौबत आने पर कार्यकर्ता जेल चले जाएंगे और संतों को एक-एक, दो-दो करके यात्रियों के रूप में अयोध्या पहुंचा दिया जाएगा। अयोध्या परिक्रमा को लेकर सरकार और हिंदूवादी संगठनों में टकराव तय माना जा रहा है। विहिप की योजना है कि ज्यादा से ज्यादा साधु-संतों को अयोध्या पहुंचाया जाए। 25 अगस्त को जयपुर और कानपुर क्षेत्र के संतों का जत्था परिक्रमा की शुरुआत करेगा।

पढ़ें: संतों ने भरी हुंकार, परिक्रमा होकर रहेगी

फ्रंटलाइन टीमें घोषित कार्यक्रम के तहत अयोध्या के लिए गाजे-बाजे के साथ कानपुर से कूच करेंगी। अगर गिरफ्तारी हो जाती है, तो संतों को ट्रेनों, बसों व अन्य वाहनों से टुकड़ों में रवाना कर दिया जाएगा। ब्रज के साधु-संत और संघ परिवार के सदस्य पांच सितंबर को अयोध्या पहुंचेंगे। फैजाबाद जनपद के गांवों में इनके रुकने की व्यवस्था की गई है। छह सितंबर की सुबह निर्देश मिलते ही वे अयोध्या पहुंचेंगे।

विहिप ने पहले निजी वाहनों से संतों को पंहुचाने की योजना बनाई थी, मगर सरकार के रुख को देखते हुए रणनीति में बदलाव किया है। दरअसल, विहिप की मंशा यह है कि एक तीर से दो निशाने साधे जाएं। मतलब कि चौरासी कोसी परिक्रमा भी सफल हो जाए और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से 1990-92 जैसा माहौल भी बन सके। विहिप के ब्रज प्रांत अध्यक्ष प्रमोद जाजू का कहना है कि जैसे पहले राम मंदिर आंदोलन सफल हुआ था, वैसे ही यह भी रहेगा।

साधु-संतों को बड़ी संख्या में तैयार किया जा रहा है। प्रमुख पदाधिकारियों से कहा गया है कि वे शुरुआत में गिरफ्तारी से बचें और भूमिगत रहकर काम करें। विभाग संगठन मंत्री प्रदीप कुमार ने बताया कि अधिक संख्या में संतों को एकत्रित करने की जिम्मेदारी एटा-कासगंज, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, मैनपुरी, फीरोजाबाद और हाथरस जिलों को सौंपी गई है। परिक्रमा को जाने वाले संतों और प्रमुख नेताओं को बता दिया गया है कि रास्ते में हर पड़ाव पर प्रमुख कार्यकर्ता मिलेंगे, जो उन्हें रहने के ठिकानों तक पहुचाएंगे।

अयोध्या के आसपास के जिलों में संतों को ठहराने के लिए हालांकि घरों में व्यवस्थाएं की गई हैं, मगर संगठन की ओर से प्रत्येक संत को अपने साथ कम से कम एक लोटा, चादर और सत्तू अवश्य रखने की सलाह दी गई है। अयोध्या जाने वाले संतों को रवाना होने से पहले यह जानकारी नहीं होगी कि उन्हें किस गांव में जाकर रुकना है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.