वेंकैया को कबड्डी खींच लाई थी आरएसएस तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी पहली मुलाकात 1993 में तब हुई थी, जब दोनों पार्टी महासचिव थे। मोदी गुजरात में थे और वेंकैया केंद्र में।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भावी उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का राजनीति में आना खेल-खेल में शुरू हुआ था। दरअसल, छात्र जीवन में 1963 में वह पहली बार आरएसएस से कबड्डी के प्रति लगाव के कारण जुड़े थे। धीरे-धीरे जुड़ाव बढ़ता गया। वहीं रहते हुए 1967 में पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी से भेंट हुई थी। उस वक्त वाजपेयी एक कार्यक्रम में आए थे और उद्घोषणा की जिम्मेदारी वेंकैया को मिली थी। युवावस्था में पहुंचे तो जयप्रकाश आंदोलन ने लुभाया। बहरहाल उसके बाद से वह राजनीति के रथ पर सवार हो गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी पहली मुलाकात 1993 में तब हुई थी, जब दोनों पार्टी महासचिव थे। मोदी गुजरात में थे और वेंकैया केंद्र में। वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के बाद पार्टी में सबसे वरिष्ठ वेंकैया खुद को आडवाणी का शिष्य करार देते हैं। आंध्र प्रदेश के नैल्लोर जिले में उदयगिरी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक चुने जाने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में उनका प्रवेश हुआ। वह खुद इसका इजहार करते रहे हैं कि आडवाणी के अध्यक्षीय काल में उन्हें महासचिव पद की जिम्मेदारी दी गई थी। संगठन की कला उन्होंने आडवाणी से ही सीखी। यह राजनीति का खेल है कि जिस रामनाथ कोविंद को वेंकैया ने दलित मोर्चे का अध्यक्ष बनाया था, अब वह उनके ऊपर राष्ट्रपति पद पर आसीन होंगे।
68 वर्षीय वेंकैया ने जब पहली बार जनसंघ में प्रवेश के बारे में सोचा था तो उन्हें डराया गया था। कहा गया था कि वहां गए तो मांस-मछली सब बंद करना होगा। मुखर वेंकैया ने तत्काल पता लगाया। जब यह स्पष्ट हो गया कि जनसंघ में किसी के आहार पर कोई पाबंदी नहीं तो वह आश्वस्त हुए।
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