उत्तराखंड के रिजल्ट ने उड़ा दी यूपी भाजपा की नींद
लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली रिकार्ड जीत की काफी खुमारी उत्तराखंड के उपचुनाव के नतीजों से काफूर हो गई। खासतौर से पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपाइयों के लिए [मोदी इफेक्ट] कायम रखना दोहरी परीक्षा जैसा है। उत्तर प्रदेश में जल्द ही 12 विधानसभा सीट और एक लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव होगा। चुनौती इसलिए भी जटि
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली रिकार्ड जीत की काफी खुमारी उत्तराखंड के उपचुनाव के नतीजों से काफूर हो गई। खासतौर से पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपाइयों के लिए [मोदी इफेक्ट] कायम रखना दोहरी परीक्षा जैसा है। उत्तर प्रदेश में जल्द ही 12 विधानसभा सीट और एक लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव होगा। चुनौती इसलिए भी जटिल है क्योंकि मैनपुरी को छोड़ सभी सीटें भाजपा व सहयोगी पार्टी अपना दल के कब्जे वाली हैं।
उपचुनाव की तैयारी के नाम पर भाजपा में केवल प्रभारियों की तैनाती के अतिरिक्त कोई ठोस कार्य नहीं हो पाया है। प्रभारियों को तैयारी मंत्र देने के लिए 28 जुलाई को पार्टी मुख्यालय में बैठक आहूत की गयी है जिसमें प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी व संगठन महामंत्री सुनील बंसल बूथ कमेटियों के पुन: परीक्षण, सत्यापन व मतदान केंद्रों की व्यवस्था दुरुस्त कराने के लिए प्रभारियों को दीक्षा देंगे। प्रभारियों में ज्यादातर युवा व नए चेहरों को मौका दिया गया है।
लखनऊ पूर्वी क्षेत्र भाजपा के लिए सर्वाधिक प्रतिष्ठा का है क्योंकि यह पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र में आता है। यहां का प्रभारी आशुतोष टंडन व मान सिंह को बनाया है। इस सीट पर दो दर्जन से अधिक दावेदारों की लंबी फेहरिस्त में कई नेता पुत्र व सेवानिवृत्त नौकरशाह हैं। साध्वी उमा भारती के विधानसभा क्षेत्र चरखारी पर भी सबकी निगाहें रहेंगी। यहां अजय पटेल को जिम्मेदारी सौंपी है। मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में सुब्रत पाठक व विपिन वर्मा डेविड को प्रभारी बनाया है।
सपा से सीधे मुकाबले का खतरा
लोकसभा चुनाव में सारी सीटें गंवा बैठी बसपा प्रमुख मायावती उपचुनाव नहीं लड़ने का एलान कर चुकी हैं। ऐसे में प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार भाजपा और सपा की सीधी लड़ाई दिखती है। सपा भी उपचुनाव जीतने को एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। हालांकि कानून व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों पर चौतरफा हमला झेल रही सत्तारूढ़ पार्टी के लिए भी उपचुनाव में जीतना आसान नहीं होगा। वैसे भाजपा तैयारियों व प्रत्याशियों के चयन में चुकी तो उप चुनाव के नतीजे गड़बड़ा सकते हैं।
कांग्रेस की भूमिका भी कमतर नहीं
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही बुरी तरह पिटी हो परन्तु उपचुनाव में उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि सीधे मुकाबले में तीसरा कोण मजबूत बना तो वोट समीकरण बिगड़ जाएगा। जानकारों का कहना है कि उत्तराखंड उपचुनाव में कांग्रेस की जीत ने भी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है। कांठ प्रकरण के अलावा अन्य मुद्दों पर कांग्रेस की सक्रियता बढ़ने के साथ रालोद गठबंधन बने रहने की स्थिति में भी चुनावी मायने काफी हद तक बदल जाएंगे।
इन सीटों पर होंगे उपचुनाव
- मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र
- विधानसभा क्षेत्र: सहारनपुर, कैराना, नोएडा, बिजनौर, ठाकुरद्वारा, हमीरपुर, लखनऊ पूर्वी, निघासन, बलहा, सिराथू, चरखारी व रोहनियां।