मोदी-ट्रंप बातचीत के बाद हुआ फैसला, अमेरिका ने हिजबुल को आतंकी सूची में डाला
अब अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने हिजबुल मुजाहिदीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित कर दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आखिरकार अमेरिका ने भी मान लिया है कि कश्मीर में आजादी की लड़ाई के नाम पर हो रहीं हिंसक घटनाएं दरअसल आतंकी वारदात हैं। भारत लंबे समय से इसे आतंकवाद बताता रहा था, लेकिन अमेरिका समेत कई देश यह मानने को तैयार नहीं थे। अब अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने हिजबुल मुजाहिदीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। मंत्रालय ने यह जानकारी बुधवार को दी। हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को दो महीने पहले ही अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर चुका है। कश्मीर में भारत के खिलाफ छद्म युद्ध का मोर्चा खोलने के लिए 1989 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने हिजबुल मुजाहिदीन का गठन कराया था।
-भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी शिकस्त
-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के ऑपरेशन को मिलेगा बल
-नवाज शरीफ ने हिजबुल आतंकी बुरहान वानी को बताया था स्वतंत्रता सेनानी
पाकिस्तान दुनिया के सामने इसे कश्मीर के स्थानीय युवाओं की आजादी के लिए संघर्ष के रूप में पेश करने की कोशिश करता रहा है। यही नहीं, इसकी आड़ में सैयद सलाहुद्दीन और हिजबुल मुजाहिदीन को पाकिस्तान खुला समर्थन भी देता रहा है। हिजबुल मुजाहिदीन के अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित होने के साथ ही पाकिस्तानी की साजिश ध्वस्त हो गई है। इसके बाद पाकिस्तान कश्मीर में सक्रिय किसी भी आतंकी को स्वतंत्रता सेनानी बताने की स्थिति में नहीं होगा।
घाटी में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद पहले से अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन की सूची में शामिल हैं। अब उसमें हिजबुल मुजाहिदीन का नाम भी आ गया है। अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद उनके खिलाफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई पर मानवाधिकार संगठन उंगली नहीं उठा पाएंगे। इससे कश्मीर में आतंकियों के सफाए के लिए सुरक्षा बलों की ओर से चलाए जा रहे 'ऑपरेशन ऑल आउट' को बल मिलेगा।
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर में मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी को स्वतंत्रता सेनानी बताकर महिमामंडित करने की कोशिश की थी। जबकि बुरहान वानी पर घाटी में कई आतंकी वारदात को अंजाम देने का आरोप था।
पाक पर लगाम
पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने के सबूत देने को कहा गया
पाकिस्तान के लिए आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए बनी संस्था एफएटीएफ के सामने अपना बचाव करना भी आसान नहीं होगा। पाकिस्तान को एफएटीएफ के सामने आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने के सबूत देने को कहा गया है। जबकि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी पाकिस्तान में खुलेआम चंदा इकट्ठा करते हैं और मुजफ्फराबाद में उनका हेडक्वार्टर है। एफएटीएफ के सामने पाकिस्तान को यह बताना होगा कि उसने हिजबुल मुजाहिदीन की फंडिंग रोकने और उसकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं। ऐसा नहीं करने की स्थिति में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ सकता है।
अब क्या होगा
-हिजबुल मुजाहिदीन के लिए अब अंतरराष्ट्रीय स्तर कश्मीर के नाम पर फंडिंग हासिल करना भी संभव नहीं होगा।
-विदेश में उसके ऑफिस और खाते सील किए जा सकते हैं और उन्हें मदद करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
-अमेरिका ने उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका में उसकी संपत्ति जब्त हो गई।
-अमेरिकी नागरिक पर हिजबुल के साथ किसी तरह के ट्रांजेक्शन की रोक रहेगी।
मोदी-ट्रंप बातचीत के बाद हुआ फैसला
अमेरिका ने हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी सूची ने डालने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बातचीत के एक दिन बाद ही लिया। मंगलवार को ट्रंप ने फोन कर मोदी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी और विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की थी। रणनीतिक मसलों पर भी दोनों नेताओं में विस्तार से चर्चा हुई।