हिज्बुल पर अमेरिकी प्रतिबंध जेयूडी व जैश से ज्यादा अहम
भारत की कोशिश है कि ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस जैसे देशों की तरफ से भी हिज्बुल पर साफ तौर पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान हो।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । अमेरिका की तरफ से कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में जुटे संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन पर लगाये गये प्रतिबंध से पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस कदम को निराशाजनक बताया है। भारतीय एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तान की बौखलाहट दो बातों से है। एक तरफ तो कश्मीर में हिज्बुल का सूपड़ा लगभग साफ होने के करीब है, दूसरा अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध लगाने के बाद उसके लिए हिज्बुल की गतिविधियों के लिए पैसा मुहैया कराना मुश्किल हो जाएगा। बहरहाल, अमेरिका के इस कदम से उत्साहित भारत ने हिज्बुल और इसके मुखिया सैयद सलाहुद्दीन पर दूसरे देशों की तरफ से भी प्रतिबंध लगाने की मुहिम को तेज करने का फैसला किया है। भारत की कोशिश है कि ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस जैसे देशों की तरफ से भी हिज्बुल पर साफ तौर पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान हो।
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि भारत के लिए अमेरिका का यह कदम जमात उल दावा और जैश-ए-मोहम्मद पर लगाये गये प्रतिबंध से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि हिज्बुल कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने वाला सबसे पुराना व सबसे बड़ा संगठन है। जमात उल दावा (जेयूडी) और जैश ए मोहम्मद की तरफ से कश्मीर में हिंसा को जारी रखने में मदद दी जाती है लेकिन जमीनी तौर पर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में सबसे आगे हिज्बुल के आतंकी होते हैं। स्थानीय नागरिकों में हिज्बुल की अभी भी काफी पैठ है। यही नहीं हिज्बुल ने कुछ वर्षो की शांति के बाद कश्मीर में स्थानीय युवकों को बरगला कर उन्हें आतंक की राह में शामिल करने की नई मुहिम छेड़ी थी। वैसे तो यह रणनीति पाकिस्तानी एजेंसियों की थी लेकिन इसे हिज्बुल के जरिए ही लागू किया जा रहा था। इसके तहत ही बुरहान बानी की मौत को एक शहादत के दौर पर पाकिस्तानी के हुक्मरानों ने पेश किया।
अमेरिकी प्रतिबंध के बाद पाकिस्तान के लिए हिज्बुल आतंकियों को शहीद बताना आसान नहीं होगा। साथ ही भारत की तरफ से आतंकविरोधी कार्रवाइयों को मानवाधिकार उल्लंघन के तहत घेरने में भी पाकिस्तान की चाल अब कामयाब नहीं होगी। पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने पिछले दिनों अपने राजदूतों के साथ बैठक में यह निर्देश दिया था कि वे कश्मीर में भारत की तरफ से की जा रही कार्रवाइयों को दूसरे देशों में उठाये। पाकिस्तान इस बात की भी लाबिंग करता है कि दूसरे देशों के संसद में कश्मीर का मुद्दा उठाया जाए। लेकिन अब किसी भी देश के किसी नेता के लिए यह काम आसान नहीं होगा। सलाहुद्दीन के बाद अब उसके संगठन को प्रतिबंधित कर अमेरिका ने यह साफ कर दिया है कि वह कश्मीर में किसी भी तरह के हिंसक घटनाओं का समर्थन नहीं करता है।
बहरहाल, अमेरिकी प्रतिबंधित से उत्साहित भारत इन संगठनों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मुहिम को और मजबूत करेगा। अगले कुछ महीनों के भीतर भारत की ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी के साथ आतंकरोधी सहयोग पर बातचीत होगी। इसमें यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा कि ये देश भी हिज्बुल मुजाहिद्दीन को हर तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाये।