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उपहार कांडः साठ करोड़ जुर्माना देकर जेल से बचेंगे अंसल बंधु

उपहार सिनेमा अग्निकांड में लापरवाही के दोषी देश के जानेमाने बिल्डर अंसल बंधुओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। अब उन्हें 60 करोड़ रुपये जुर्माना भरने पर आगे की जेल नहीं काटनी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुशील और गोपाल अंसल की सजा 30-30 करोड़ रुपये जुर्माना और

By Test1 Test1Edited By: Published: Wed, 19 Aug 2015 04:22 PM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2015 01:46 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उपहार सिनेमा अग्निकांड में लापरवाही के दोषी देश के जानेमाने बिल्डर अंसल बंधुओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। अब उन्हें 60 करोड़ रुपये जुर्माना भरने पर आगे की जेल नहीं काटनी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुशील और गोपाल अंसल की सजा 30-30 करोड़ रुपये जुर्माना और काटी जा चुकी जेल तक सीमित कर दी है। सुशील अंसल 5 महीने 20 दिन और गोपाल अंसल 4 महीने 22 दिन की जेल काट चुके हैं। कोर्ट के इस फैसले पर उपहार अग्निकांड पीडि़तों ने गहरी निराशा जताई है।

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पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को उपहार सिनेमा अग्निकांड में घोर लापरवाही का दोषी ठहराया था लेकिन सजा की अवधि को लेकर दोनों न्यायाधीशों टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा के बीच मतभिन्नता हो गई थी, इसलिए सजा का मुद्दा तय करने का मामला तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया था। बुधवार को न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ व न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने सजा के मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए सुशील और गोपाल अंसल को 30-30 करोड़ रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि तीस-तीस करोड़ जुर्माना भरने पर उनकी जेल की सजा अब तक काटी जा चुकी जेल अवधि तक पर्याप्त मान ली जाएगी। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर निश्चित समय में अंसल बंधु जुर्माने की यह रकम अदा नहीं करते हैं तो उन्हें सुनाई गई एक-एक साल के कारावास की सजा कायम रहेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली अग्निशमन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एचएस तंवर की एक साल के कारावास की सजा भी 10 लाख रुपये जुर्माना देने पर काटी जा चुकी दो महीने की जेल तक सीमित कर दी है। हालांकि कोर्ट का विस्तृत आदेश अभी प्राप्त नहीं हुआ है।

59 लोगों की हुई थी मौत

13 जून, 1997 को बार्डर फिल्म के प्रदर्शन के दौरान दक्षिण दिल्ली स्थित उपहार सिनेमाघर में आग लग गई थी। इस अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। निचली अदालत और हाई कोर्ट दोनों ने अंसल बंधुओं को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने 2-2 साल की कैद दी थी जिसे हाई कोर्ट ने घटा कर 1-1 साल कर दिया था। इस मामले में उपहार विक्टिम एसोसिएशन ने अंसल बंधुओं व अन्य सह अभियुक्तों की सजा बढ़ाने की मांग की थी। सीबीआइ ने भी हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए दोषियों की सजा बढ़ाने की मांग की थी।

बुधवार को ही मामले पर बहस शुरू हुई। सीबीआइ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि सीबीआइ दोनों अभियुक्तों के लिए जेल की सजा चाहती है। पीडि़तों के वकील केटीएस तुलसी ने भी कहा कि पीडि़त मुआवजा नहीं बल्कि दोषियों को जेल की सजा चाहते हैं। जबकि अंसल के वकील ने अपराध में अभियुक्तों की भूमिका और अन्य कारणों का हवाला देते हुए सजा कम करने की अपील की।

पिछले वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं को लापरवाही का दोषी ठहराते हुए अपने फैसले में कहा था कि उनकी रुचि दर्शकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय पैसा बनाने में ज्यादा थी। अंसल बंधुओं की सजा की अवधि पर दोनों न्यायाधीशों में मतभिन्नता थी। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने दोनों भाइयों को घोर लापरवाही का दोषी ठहराते हुए 1-1 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई जबकि न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने सुशील अंसल की उम्र को देखते हुए ïउनकी सजा घटा कर काटी जा चुकी जेल और 50 करोड़ जुर्माना कर दी थी और गोपाल अंसल के एक साल के कारावास को बढ़ाकर दो वर्ष कर दिया था। हालांकि 50 करोड़ रुपये जुर्माना देने पर गोपाल की सजा भी घटा कर एक साल की कैद कर दी थी। इस सौ करोड़ की जुर्माना राशि से जस्टिस मिश्रा ने दिल्ली के द्वारका में दुर्घटना पीडि़तों के लिए ट्रामा सेंटर बनाने का आदेश दिया था।

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''तीस-तीस करोड़ जुर्माना भरने पर सुशील और गोपाल अंसल को आगे की जेल नहीं भुगतनी होगी। अब तक काटी जा चुकी जेल ही पर्याप्त मान ली जाएगी। अग्निशमन अधिकारी को भी 10 लाख का जुर्माना भरने पर नहीं काटनी होगी आगे जेल।'' -सुप्रीम कोर्ट

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