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यूपीः पुलिस ने रेप के बाद प्राइवेट पार्ट में लगवाया टांका

यूपी में एक बार फिर निर्भया कांड जैसी ही दरिंदगी सामने आई है। इस केस में रेप पीड़िता की हालत नाजुक बनी हुई है और इसके लिए जितने अपराधी दोषी है, उतने ही वे पुलिसकर्मी दोषी हैं जिन्होंने अपना काम जिम्मेदारी से नहीं निभाया।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2015 11:40 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2015 03:55 PM (IST)
यूपीः पुलिस ने रेप के बाद प्राइवेट पार्ट में लगवाया टांका

लखनऊ। यूपी में एक बार फिर निर्भया कांड जैसी ही दरिंदगी सामने आई है। इस केस में रेप पीड़िता की हालत नाजुक बनी हुई है और इसके लिए जितने अपराधी दोषी है, उतने ही वे पुलिसकर्मी दोषी हैं जिन्होंने अपना काम जिम्मेदारी से नहीं निभाया।

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उन्होंने रेप पीड़िता की शिकायत के बाद भी मामला दर्ज नहीं किया और न उसका उचित उपचार करवाया बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट में टांका लगवा कर घर वापस भिजवा दिया।

मामला गोरखपुर के सहजनवां के एक गांव का है, जहां 23 वर्षीय एक युवती के साथ अज्ञात लोगों ने बलात्कार किया, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ भी है। युवती की शादी 2012 में हुई थी लेकिन कुछ दिनों बाद ही मानसिक समस्या के कारण वह मायके में रहने लगी। कुछ दिनों पहले ही वह अपने ननिहाल गई हुई थी, जहां 20-21 जून की शाम से वह गायब हो गई।

21 जून की सुबह सहजनवां के समधिया चौराहे के पास वह बेहोश मिली। स्थानीय लोगों के अनुसार, युवती के प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था और कपड़े भी खून से भीगे हुए थे। साथ ही शरीर पर नोच-खरोंच के निशान साफ नजर आ रहे थे।

मौके पर पहुंची पुलिस टीम उसे लेकर पीएचसी सहजनवां पहुंची और उसके प्राइवेट पार्ट में टांका लगवा कर अपनी इतिश्री कर ली। उन्होंने पीड़िता के घरवालों को भी कोई जानकारी नहीं दी।

युवती को नहलाने के दौरान परिवार की महिलाओं ने उसके इन घावों को देखा और परिजनों को बताया। इसके बाद परिजन फिर से पुलिस के पास पहुंचे लेकिन पुलिस वालों ने मामले की गंभीरता को नहीं समझा। इसके बाद पीड़िता की हालत खराब होने लगी। शुक्रवार को पीड़िता को जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों के कहने के बाद पुलिस ने शनिवार को मामला दर्ज किया। जिला अस्पताल से पीड़िता को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

इतना ही नहीं पीएचसी सहजनवां के डॉक्टर ने भी युवती की हालत देखने के बावजूद न तो एफआईआर दर्ज करवाई और न उसके परिवार वालों को बुलवाया। गंभीर घाव होने के बावजूद उसे पीएचसी में भर्ती या जिला अस्पताल रेफर नहीं किया और वापस घर भेज दिया।

सहजनवां पुलिस ने मामला चर्चित होने के बाद आईपीसी की धारा 376 (घ) और 323 के तहत मामला दर्ज करने का दावा किया है।

[साभार- नई दुनिया]

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