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जानिए, PoK में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पूरी दास्तान

अमावस की इस काली रात में घुसे इन कमांडों के पास इसरो से मिली अचूक जानकारियां थी। इन कमांडो को ऑपरेशन से पहले अंतिम प्रशिक्षण आगरा में दिया गया था।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 30 Sep 2016 11:03 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2016 11:51 PM (IST)
जानिए, PoK में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पूरी दास्तान

जेएनएन, नई दिल्ली। भारतीय सेना ने जिस तरह एक बड़े जोखिम को लेकर गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया उसके आज भले ही हर जगह वाहवाही हो रही हो लेकिन ये ऑपरेशन इतना आसान नहीं था।

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एक सुनियोजित रणनीति के तहत भारतीय पैरा और घातक को हेलीकाप्टरों से नियंत्रण रेखा पर उतारा गया। 10 पैरा और उनके पीछे बैकिंग के लिए 15 घातक कमांडो की टीम करीब तीन किलोमीटर तक सात-सात टुकड़ियों में बंटकर गए। अमावस की इस काली रात में घुसे इन कमांडों के पास इसरो से मिली अचूक जानकारियां थी। इन कमांडो को ऑपरेशन से पहले अंतिम प्रशिक्षण आगरा में दिया गया था।

इतना ही नहीं, इन कमांडो के पास कार्ल गुस्ताव राकेट लांचर भी था, जो कि अपनी श्रेणी में सबसे मारक माना जाता है। इनके पीछे एलओसी में सेना टैंकों और तोपखाने के साथ आगे किसी भी हद तक जाने को बिल्कुल तैयार थी। साथ ही स्थिति बिगड़ने पर जम्मू, श्रीनगर, पठानकोट, ऊधमपुर और अंबाला एयरबेस पर वायुसेना के विमान बिल्कुल मुस्तैद थे।

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पायलट पूरी तरह से कॉकपिट में बैठे किसी भी स्थिति के लिए तैयार थे और दो मिनट के अंदर पूरी ताकत से किसी भी स्थिति का जवाब देने में सक्षम। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान से जुड़ी इस सीमा पर भारत अभी भी पूरी तैयारी से है और आने वाले दिनों में उसकी स्थिति सामरिक रूप से और मजबूत ही होगी।

पाकिस्तान से जुड़ी 250 किलोमीटर सीमा पर पूरी तरह सीलबंदी करने के बाद भारतीय कमांडो दो बजे मिशन के लिए रवाना होते हैं, इधर सारा दिन पीएम पूर्व निर्धारित प्रशासनिक कामों में भी पूरी तरह मसरूफ रहते हैं। थोड़ी-थोड़ी देर में वह जानकारी लेते रहते हैं।

इसके बाद शाम 6.30 बजे वे अपने निवास यानी सात लोक कल्याण मार्ग पहुंचकर भी पूरी तरह ऑपरेशन पर नजर रखते हैं। 28-29 सितंबर की रात को 12.30 बजे भारतीय कमांडो एलओसी पार करते हैं। सवेरे 4.32 बजे एनएसए अजीत डोभाल की पीएम को कॉल आती है 'ऑपरेशन सक्सेस' तब पीएम आश्वस्त भाव से उठते हैं और अगले दिन की गतिविधियों में लग जाते हैं। 28 सितंबर को 2 बजे जब पैरा और घातक कमांडो की टीम मिशन के लिए निकलीं तो उड़ी और कुपवाड़ा में भारतीय सेनाओं ने गतिविधियां चरम पर ला दीं।

एयरफोर्स के हेलीकाप्टर और विमान इन इलाकों में रोजमर्रा की तुलना में पाकिस्तान से सटी उड़ी और कुपवाडा की सीमा पर आसमान में छाए रहे। उधर, पाकिस्तानी रेंजर्स और उनकी सेना का ध्यान इस तरफ बंटा ही था कि शाम होते ही भारत ने यहां से भारी गोलाबारी भी शुरू कर दी। इधर, पाकिस्तानी सेना का ध्यान बंटा तो उधर पैरा व घातक के दस्ते मेंडर क्षेत्र में पीओके के अंदर घुस गए।

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इसी बीच कमांडो को अन्य क्षेत्रों से लक्षित कैंपों पर पहुंचाने की कोशिश की गई जिस पर पिछले एक हफ्ते से नजर रखी जा रही थी। टीमें उत्तर कश्मीर के पुंछ और नौगाम सेक्टर के एलओसी पर फैल गईं। कमांडो अपने लक्ष्य पर लगभग रात के पौने दो बजे पहुंचे।

इसके साथ ही साथ आक्रमण जारी रखते हुए, उन्होंने पांच आतंकी लॉन्च पैड नष्ट कर दिए। इतनी ही नहीं उन्होंने लॉन्च पैड के पास स्थित दो पाकिस्तानी सेना के केंद्रों को भी निशाना बनाया। सुबह होने से पहले वे भारतीय सीमा में वापस लौट आए। इसके अलावा, मिलिटरी ने जम्मू और पठानकोट के एयर फोर्स बेस जैसे कई स्थानों को हाई अलर्ट पर भी रखा।


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