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OBC आरक्षण: केंद्र का बड़ा फैसला, क्रीमी लेयर की सीमा 2 लाख रुपये बढ़ी

केंद्रीय कैबिनेट ने क्रीमी लेयर की सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख कर दिया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 23 Aug 2017 04:43 PM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 08:57 PM (IST)
OBC आरक्षण: केंद्र का बड़ा फैसला, क्रीमी लेयर की सीमा 2 लाख रुपये बढ़ी
OBC आरक्षण: केंद्र का बड़ा फैसला, क्रीमी लेयर की सीमा 2 लाख रुपये बढ़ी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने के प्रयास में विपक्ष ने रोड़ा अटकाया तो सरकार ने ओबीसी की विभिन्न वंचित जातियों में पैठ बनाने का रास्ता बना लिया। केंद्रीय कैबिनेट ने ओबीसी की केंद्रीय सूची के वर्गीकरण के लिए आयोग बनाने के फैसले को मंजूरी दे दी। यानी इस वर्ग में भी पिछड़ेपन की सीमा को देखते हुए उन्हें आरक्षण का हक दिया जाएगा। एक तरह से यह कोटा के अंदर कोटा होगा। वहीं ओबीसी मे क्रीमी लेयर की आय सीमा को छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख करने का फैसला भी लिया जा चुका है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी दी। फैसले के अनुसार एक आयोग बनाने का फैसला लिया गया है जो ओबीसी के वर्गीकरण पर विचार करेगा। अध्यक्ष की नियुक्ति के 12 हफ्ते के भीतर यह अपनी रिपोर्ट भी देगा। इसे तीन बिंदुओं पर फैसला करना है। इसे यह देखना है कि ओबीसी के अंदर केंद्रीय सूची मे शामिल जातियों को क्या उनकी संख्या के अनुरूप सही मात्रा में आरक्षण का लाभ मिल रहा है। अगर नहीं तो इनका कैसा वर्गीकरण किया जा सकता है। आयोग इसके मांपदंडो पर भी विचार करेगा। ध्यान रहे कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने तीन वर्गो में वर्गीकरण का सुझाव दिया था। ऐसा वर्ग जो पिछड़ा है। दूसरा वर्ग जो ज्यादा पिछड़ा है और तीसरा जो अतिपिछड़ा है। भावी आयोग उन जातियों की संख्या और पिछड़ेपन को ध्यान में रखकर नई सूची तैयार करेगा। ध्यान रहे कि आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखंड समेत दस राज्यों में पहले ही ऐसी व्यवस्था है। अब केंद्रीय सूची में यह होगा।

यह फैसला भले ही सामाजिक समानता के मुद्दे से जुड़ा है लेकिन इसका राजनीतिक संदर्भ काफी बड़ा है। दरअसल पिछले चुनावों मे भी ऐसे ओबीसी वर्ग का भाजपा के प्रति झुकाव रहा था जो बहुत प्रभावी नहीं है। इनकी बड़ी संख्या है और केंद्र व राज्यों की सूची को मिलाया जाए तो ऐसी जातियां की सैकड़ों में है। बिहार, उत्तर प्रदेश में जो प्रभावी ओबीसी वर्ग है और जो आरक्षण के 27 फीसद कोटा का अधिकांश हिस्से पर काबिज होते हैं, उनके स्थानीय नेता भी क्षेत्रीय दलों में हैं। भाजपा की ओर से पहले ही संकेत दिया गया था कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि आरक्षण का लाभ सभी जातियों तक पहुंचे। इसे आगामी चुनावों की तैयारियों के रूप में भी देखा जा रहा है। क्रीमी लेयर की आय सीमा पहले ही बढ़ाकर उन्हें राहत दी जा चुकी है। वित्तमंत्री ने कैबिनेट के बाद बताया कि यह आय सीमा बढ़ाने की जानकारी कैबिनेट को दी गई।

ध्यान रहे कि मानसून सत्र में सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का संविधान संशोधन लाया था। लोकसभा से उसे पारित भी कर दिया गया लेकिन राज्यसभा में विपक्ष ने धर्म के आधार पर सदस्यों की नियुक्ति का संशोधन लाकर उसे अटका दिया। अब सरकार को फिर से कवायद करनी होगी। इस बीच वर्गीकरण के फैसले पर मुहर ने ओबीसी को केंद्र सरकार के रुख का संकेत दे दिया है।

क्या है क्रीमी लेयर?

सरकारी नौकरियों और केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी पदों को आरक्षित रखा गया है। लेकिन, आरक्षण का लाभ लेने परिवार की वार्षिक आय 6 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए, जिसे बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दिया गया है। तय सीमा से ज्यादा आय वाले लोगों को क्रीमी लेयर मान कर इससे बाहर कर दिया जाता है। मगर इस पाबंदी की वजह से कई मामलों में ओबीसी कोटा के पद उपयुक्त उम्मीदवार की कमी की वजह से खाली ही रह जाते हैं। काफी लंबे समय से क्रीमी लेयर की सीमा को बढ़ाने की मांग हो रही थी।

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