उमा को भी नमो का ही सहारा
भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती अपने तीखे और विस्फोटक बयानों से चुनाव प्रचार में उतरी जरूर हैं, लेकिन उन्हें अब पार्टी के संकटमोचक बन चुके नरेंद्र मोदी का सहारा लेना पड़ रहा है। उनके चुनाव प्रचार में मोदी नाम का जाप हो रहा है। 'मोदी काशी से, उमा झांसी से' जैसे नारे लगाए जा रहे हैं।
झांसी [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती अपने तीखे और विस्फोटक बयानों से चुनाव प्रचार में उतरी जरूर हैं, लेकिन उन्हें अब पार्टी के संकटमोचक बन चुके नरेंद्र मोदी का सहारा लेना पड़ रहा है। उनके चुनाव प्रचार में मोदी नाम का जाप हो रहा है। 'मोदी काशी से, उमा झांसी से' जैसे नारे लगाए जा रहे हैं। झांसी-ललितपुर संसदीय सीट के जातिगत समीकरण उनके पक्ष में दिख रहे हैं। मोदी के पिछड़ी जाति का होने का लाभ यहां उमा को मिल रहा है। साध्वी अपने चुनावी भाषणों में मोदी की काशी से खुद को जोड़कर कहती हैं कि बिना उमा के काशी पूरी नहीं होती है।
जातिगत समीकरणों में उमा भारती भारी जरूर पड़ रही हैं, फिर भी अपने पिछड़े मतों को लुभाने के लिए गांव-गांव खाक छान रही हैं। मोदीमय हुए झांसी में उमा भी नरेंद्र मोदी के ही गुणगान करती फिर रही हैं। पार्टी के अंदरुनी विरोध को उन्होंने एक झटके में समाप्त कर दिया। नाराज स्थानीय विधायक रवि शर्मा के घर को उमा ने अपना पहला पड़ाव बना लिया। सप्ताहभर वहीं से चुनाव प्रचार का संचालन किया। झांसी के पूर्व सांसद सुजान सिंह बुंदेला कहते हैं कि बबीना, ललितपुर और मेहरौनी में लोध राजपूत ज्यादा है। इसीलिए उमा भारती यहां चुनाव लड़ने आई हैं।
केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन को प्रतिष्ठा बचानी भारी पड़ रही है। मजबूत व्यक्तिगत इमेज पर केंद्र सरकार की नाकामी, महंगाई और भ्रष्टाचार के साथ मोदी के पक्ष में चल रही हवा भारी है, जिससे जैन हलकान हैं। बुंदेलखंड पैकेज में भ्रष्टाचार और अन्य योजनाओं की धीमी प्रगति पर भी लोग उन्हें आड़े हाथों ले रहे हैं।
बसपा यहां की सीट पर कई बार जीत हासिल कर चुकी है। दलितों और मुस्लिमों के साथ ब्राह्मण मतों से बसपा यहां ताकतवर रही है। इस बार जहां भाजपा के मोदी फैक्टर ने उसके ब्राह्मण मतों को एकमुश्त तोड़ा है, वहीं मुस्लिम मतों में सपा ने सेंध लगाई है। सपा उम्मीदवार चंद्रपाल यादव का चुनाव प्रचार सड़कों पर खूब दिख रहा है। लेकिन राज्य सरकार की कार्यप्रणाली उनकी जीत में आड़े आ सकती है। समूचे बुंदेलखंड में सपा से यहां के लोग नाराज हैं। राज्य की अखिलेश सरकार में बुंदेलखंड से कोई को मंत्री नहीं बनाया गया है। कुछ विधायक तो नाराज होकर चुनाव प्रचार से खुद को दूर रखे हुए हैं।