UAPA से टूटी आतंक की कमर, गैरकानूनी गतिविधि कानून के तहत 1335 मामलों की चल रही है जांच
UAPA पिछले दो साल में कश्मीर घाटी में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम साबित हो रहा है। इसके साथ ही चार महीने पहले आतंकियों को शरण देने वालों घरों और संपत्तियों की यूएपीए के तहत जब्ती का फैसला आतंकवाद की ताबूत में आखिरी कील साबित हो रहा है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधि कानून (यूएपीए) पिछले दो साल में कश्मीर घाटी में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम साबित हो रहा है। इसके साथ ही चार महीने पहले आतंकियों को शरण देने वालों घरों और संपत्तियों की यूएपीए के तहत जब्ती का फैसला आतंकवाद की ताबूत में आखिरी कील साबित हो रहा है। कश्मीर में आतंकियों और उसके नेटवर्क के खिलाफ यूएपीए के इस्तेमाल को इस बात से समझा जा सकता है कि 2021 में इस कानून के तहत दर्ज कुल केस में 97 फीसद अकेले जम्मू-कश्मीर में दर्ज किये गए।
UAPA में कई बार किया गया संशोधन
जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, वैसे तो आतंकवाद से निपटने के लिए 2004 में यूएपीए को संशोधित कर तैयार किया गया था और मुंबई हमले के बाद 2008 में इसके प्रावधानों को और भी कड़ा कर दिया गया, लेकिन कश्मीर घाटी में आतंकवादियों और संरक्षकों से निपटने में इसका इस्तेमाल नहीं हुआ। आतंकी हमलों के मामले ही ऐसे केस दर्ज किये जाते रहे। लेकिन 2020 में पहली बार केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य प्रशासन ने आतंकियों और फंडिंग करने वाले से लेकर उनकी मदद करने वाले सभी लोगों के खिलाफ यूएपीए के इस्तेमाल का फैसला किया।
UAPA के तहत 1335 मामलों की जांच जारी
उनके अनुसार पूरे जम्मू-कश्मीर में यूएपीए के तहत दर्ज कुल 1335 मामलों की जांच चल रही है, जिनमें कश्मीर में 1214 हैं। इन 1214 मामलों में 80 की जांच एसआइए (स्टेट इंवेस्टीगेशन एजेंसी) कर रही है। 884 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और उनका ट्रायल चल रहा है। यूएपीए के बढ़ते मामलों के देखते हुए गंभीर मामलों की जांच के लिए पिछले साल नवंबर में एनआइए की तर्ज पर एसआइए का गठन किया गया था। एसआइए के अधिकारियों को एनआइए की ओर ट्रेनिंग दी गई है और वह एक साल के भीतर 24 मामलों में चार्जशीट दाखिल कर चुका है।
UAPA मामले की जांच के लिए विशेष यूनिट गठित
जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यूएपीए के केस की जांच के लिए सभी जिलों में एसपी की निगरानी में 14 सदस्यीय विशेष जांच यूनिट (एसआइयू) का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि हर केस की निगरानी उच्च स्तर पर की जा रही है और एसपी को अपने जिले के हर केस की जांच की प्रगति की रिपोर्ट हर महीने पुलिस मुख्यालय को भेजना अनिवार्य कर दिया गया है। जिन मामलों में चार्जशीट दाखिल कर गई है, उनके ट्रायल की निगरानी भी की जा रही है, इसके लिए हर जिलों में अलग से पैरवी सेल का गठन किया गया है, जो हेडक्वार्टर को हर महीने अपनी रिपोर्ट भेजता है।
आतंकी की कमर तोड़ रही UAPA
पुलवामा जिले के पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूएपीए के तहत हो रही कार्रवाई का जमीनी स्तर पर आतंकियों के नेटवर्क के ध्वस्त करने में कारगर साबित हो रहा है। उनके अनुसार चार महीने फैसला लिया गया कि आतंकियों को पनाह देने वालों के खिलाफ भी यूएपीए के तहत कार्रवाई करने और उनकी संपत्ति जब्त करने और खासकर उस मकान को, जिसमें आतंकी ठहरे थे, ध्वस्त करने, का फैसला किया गया। इस फैसले के प्रभाव का उदाहरण देते हुए उन्होंने एक आतंकी का उदाहरण दिया, जिसने आतंकी बनने के एक महीने के भीतर ही भागकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। ऐसा उसने बरसात की रात में तीन-चार घरों में पनाह नहीं मिलने और खुले खेत में रात बिताने के लिए मजबूर होने के बाद किया था।
ये भी पढ़ें: बाजार में क्रेडिट कार्ड डेटा से सौ गुना महंगा बिकता है हेल्थ डेटा