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सपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं उपचुनाव

लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद भाजपा से भयाक्रांत समाजवादी पार्टी के लिए विधानसभा उपचुनाव भी मुसीबत का सबब बन सकते हैं। इसकी वजह, सहारनपुर सांप्रदायिक दंगों के चलते सपा से सिख समुदाय की नाराजगी के साथ सत्ता विरोधी लहर है। बसपा के उपचुनावों से दूरी बनाने एवं कांग्रेस व रालोद की खस्ता हालत के चलते भाजपा को ए

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 02:42 PM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 02:50 PM (IST)
सपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं उपचुनाव

मेरठ, [अवनीन्द्र कमल]। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद भाजपा से भयाक्रांत समाजवादी पार्टी के लिए विधानसभा उपचुनाव भी मुसीबत का सबब बन सकते हैं। इसकी वजह, सहारनपुर सांप्रदायिक दंगों के चलते सपा से सिख समुदाय की नाराजगी के साथ सत्ता विरोधी लहर है। बसपा के उपचुनावों से दूरी बनाने एवं कांग्रेस व रालोद की खस्ता हालत के चलते भाजपा को एक बार फिर इसका लाभ होने के आसार नजर आने लगे हैं।

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सब जानते हैं कि मोदी लहर और मुजफ्फरनगर दंगों के बीच लोस चुनाव में सपा का सूपड़ा पूरी तरह से साफ हो गया। गाजियाबाद से गाजीपुर तक पराजय की पीड़ा ने मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का राजनीतिक प्रभामंडल क्षीण कर दिया। बची-खुची कसर प्रदेश में बढ़ते अपराधों के ग्राफ, बेलगाम नौकरशाही और सपाइयों की दबंगई ने पूरी कर दी है। छह दिन पहले हुए सहारनपुर दंगे ने इसमें आग में घी का काम कर दिया है। अब पूरी तरह लहूलुहान हो चुकी पश्चिम की सियासी फसल ने सपा के लिए खासी परेशानी खड़ी कर दी है। उपचुनाव की बात करें तो सहारनपुर सदर सीट के अलावा नोएडा, बिजनौर, मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा और कैराना सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए मंथन तेज हो गया है। सपा ने तो सहारनपुर सदर सीट पर संजय गर्ग को अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। अन्य दलों में उम्मीदवारों को लेकर मंथन जारी है। दिलचस्प यह है कि जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उन पर कब्जा भारतीय जनता पार्टी का है। ठाकुरद्वारा सीट पर सर्वेश चौहान, बिजनौर सीट पर कुंवर भारतेंद्र सिंह, नोएडा सीट पर महेश शर्मा, कैराना सीट पर बाबू हुकुम सिंह और सहारनपुर सदर सीट पर राघव लखन पाल शर्मा ने दिल्ली की डगर आसान कर ली।

उपचुनाव इन्हीं सीटों पर होने हैं और ताजा राजनीतिक वातावरण इस का बात का साफ संकेत दे रहा है कि मतों का ध्रुवीकरण हर हाल में होगा। ठाकुरद्वारा और कैराना सीट पर बसपा संघर्ष को त्रिकोणात्मक बना सकती थी, लेकिन उसने उप चुनाव से किनारा कर लिया है। यहां सपा प्रत्याशी ही, भाजपा से दो-दो हाथ करेंगे। सहारनपुर में कांग्रेस नेता इमरान मसूद का रोल अलहदा हो सकता है बाकी अन्य सीटों पर भाजपा के भय का भूत, सपा के सूरमाओं को बेचैन करने लगा है।

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