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...कभी न भूल पाएंगे मौत का मंजर

ट्रेन तो अपनी गति से ही चल रही थी और लोग अपनी धुन में मस्त थे, लेकिन अचानक एक झटके ने जिंदगी के तार ही हिला कर रख दिए। जिन डिब्बों में थोड़ी देर पहले ठहाके गूंज रहे थे वहां बचाओ-बचाओ की आवाजें गूंजने लगीं। हादसे में प्रभावित कुछ ही

By anand rajEdited By: Published: Sat, 21 Mar 2015 09:40 AM (IST)Updated: Sat, 21 Mar 2015 10:10 AM (IST)
...कभी न भूल पाएंगे मौत का मंजर

अमेठी (जागरण संवाददाता)। ट्रेन तो अपनी गति से ही चल रही थी और लोग अपनी धुन में मस्त थे, लेकिन अचानक एक झटके ने जिंदगी के तार ही हिला कर रख दिए। जिन डिब्बों में थोड़ी देर पहले ठहाके गूंज रहे थे वहां बचाओ-बचाओ की आवाजें गूंजने लगीं। हादसे में प्रभावित कुछ ही डिब्बे हुए थे लेकिन दहशत का आलम यह था कि पीछे के डिब्बे तक जो नीचे उतर पाता था जोर से भागता था।

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हादसे के समय ट्रेन पर सवार रहे लखनऊ निवासी डॉ.अजय सिंह गौरीगंज में अपना क्लीनिक चलाते हैं। उन्होंने बताया कि रोज की तरह ही मैं भी गौरीगंज के लिए निकला था। आमतौर पर जनता एक्सप्रेस बछरांवा में रुकती है, लेकिन शुक्रवार को वह प्लेटफार्म के निकट रुकी नहीं। हालांकि सभी इससे थोड़ा चौंके जरूर थे। स्टेशन पर यात्री भी थे। ट्रेन स्टेशन से थोड़ा आगे ही बढ़ी थी कि एक जोरदार झटका महसूस हुआ। जबरदस्त अफरातफरी मच गई। उतरने के बाद देखा कि ट्रेन का अगला डिब्बा बिल्कुल पिचक गया है। दो डिब्बे और भी क्षतिग्रस्त थे। लोग दर्द से कराह रहे थे। भगदड़ का माहौल हो गया। ऊपर वाले की कृपा से मेरी जान तो बच गई लेकिन जो मारे गए हैं उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।

दो सगे भाइयों की मौत, परिजन गंभीर

इस दर्दनाक रेल हादसे में गौरीगंज के मधुकहर निवासी दो मासूमों की मौत हो गई जबकि उनके परिजन गंभीर रूप से घायल हैं। गांव निवासी अजय मिश्र दिल्ली में रहते हैं। वहां से वह पत्नी शशि और दो पुत्रों अभय व अमन के साथ लखनऊ पहुंचे और शुक्रवार को लखनऊ से जनता एक्सप्रेस से गौरीगंज आ रहे थे। हादसे के बाद अजय ने फोन पर दोनों पुत्रों की मृत्यु की सूचना दी जबकि उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हैं। घटना में अजय को भी काफी चोटें आई हैं। इसके अलावा अमेठी कोतवाली क्षेत्र निवासी नीमर पुत्र रामऔतार के भी मरने की सूचना है। हालांकि अमेठी जिला प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं हो पाई है। वह जानकारी प्राप्त करने की कोशिश में लगा है।

ज्यादातर मरने वाले जनरल कोच के

रायबरेली से करीब 30 किलोमीटर दूर हुई इस दुर्घटना में मरने वाले ज्यादातर लोग इंजन के पीछे लगने वाले जनरल कंपार्टमेंट के थे। इसके आगे वाला गार्ड कोच खाली था, वह भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। माना जा रहा है कि अगर इंजन के ठीक पीछे गार्ड कोच न लगा होता तो मृतकों की संख्या और ज्यादा होती। घायलों को लखनऊ और रायबरेली के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई घायलों की दशा गंभीर है। मृतकों का आंकड़ा बढ़ सकता है। ज्यादातर पीड़ित उत्तर प्रदेश के हैं। 23 मृतकों की पहचान हो गई है। इनमें एक बिहार निवासी वीरेंद्र का पुत्र चंदन है।

मृतक आश्रितों को चार लाख की मदद

दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए रेलवे ने दो लाख रुपये और उत्तर प्रदेश सरकार ने भी दो लाख रुपये की सहायता का एलान किया है। गंभीर रूप से घायलों को रेलवे 50 हजार रुपये और सामान्य घायल को 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देगा। जबकि उप्र सरकार सभी घायलों को 50-50 हजार रुपये की मदद देगी।

ग्रामीणों ने बचाई तमाम यात्रियों की जान

प्रात : नौ बजकर सात मिनट पर दुर्घटनाग्रस्त होते ही आसपास के गांवों के लोग दुर्घटना स्थल की ओर दौड़ पड़े। उन्होंने अपने सीमित संसाधनों से घायलों को ट्रेन से निकाला और नजदीकी अस्पतालों में उन्हें पहुंचाया। रेलवे और सरकारी सहायता विलंब से मौके पर पहुंची। परिणामस्वरूप आक्रोशित इलाके के लोगों ने रेल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद गैस कटर से जैसे ही दुर्घटनाग्रस्त जनरल कोच को काटा गया-वैसे ही उसमें से लाशों और घायलों का अंबार निकल पड़ा। दुर्घटना के बाद लखनऊ-वाराणसी सेक्शन पर ट्रेनों का आवागमन बाधित हो गया है।

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