Move to Jagran APP

कांग्रेस के संकट में साथ नहीं 'संकटमोचक'

कोलकाता [जयकृष्ण वाजपेयी]। चार दशक तक अपनी राजनीतिक समझ व दूरदर्शिता से कांग्रेस के संकटमोचक बने रहे प्रणब दा की इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी याद आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार संप्रग तीन बनाने की जुगत भिड़ा रही कांग्रेस की राह इस बार सबसे ज्यादा दुरूह है। इसके अलावा 40 सालों में पहली बार

By Edited By: Published: Thu, 27 Mar 2014 07:02 PM (IST)Updated: Thu, 27 Mar 2014 07:05 PM (IST)
कांग्रेस के संकट में साथ नहीं 'संकटमोचक'

कोलकाता [जयकृष्ण वाजपेयी]। चार दशक तक अपनी राजनीतिक समझ व दूरदर्शिता से कांग्रेस के संकटमोचक बने रहे प्रणब दा की इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी याद आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार संप्रग तीन बनाने की जुगत भिड़ा रही कांग्रेस की राह इस बार सबसे ज्यादा दुरूह है। इसके अलावा 40 सालों में पहली बार प्रणब मुखर्जी की सक्रिय भूमिका के अभाव के अभाव में ये रास्ता और लंबा नजर आता है।

loksabha election banner

अपनी कूटनीतिक बुद्धि और रणनीति से बड़े-बड़े को पछाड़ने वाले प्रणब दा को बंगाल के कांग्रेसी नेता बहुत याद करते हैं। प्रणब के करीबी माने जाने वाले अधीर रंजन चौधरी बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। 40 वर्षो से अधिक समय तक कांग्रेस का लोकसभा चुनाव का घोषणापत्र तैयार करने से लेकर उसे जारी करने तक में प्रणब दा की अहम भूमिका होती थी। लेकिन इस बार प्रणब दा को इन सबसे कुछ लेना-देना नहीं है।

वर्ष 1969 में पहली बार कांग्रेस के टिकट से राज्यसभा पहुंचने वाले प्रणब ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो एकमात्र ऐसे कांग्रेसी नेता थे जो इंदिरा गांधी से लेकर 2012 तक सभी कांग्रेसी प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में शामिल रहे। अपने सियासी सफर में करीब 35 साल तक लोकसभा का रुख नहीं करने वाले प्रणब की रणनीति पर पार्टी नेता अमल करते थे।

राजनीति के गलियारों में अपने फन का लोहा मनवाने के बाद प्रणब अब देश के शीर्ष संवैधानिक पद पर आसीन हैं। सरकार और राजनीति में उनके 45 वर्षों के अनुभव का कोई सानी नहीं है। इस दौरान जब भी उनकी पार्टी और सरकार पर मुसीबत आई तो वे सबसे आगे नजर आते और समस्या को सुलझा देते। लेकिन इस बार चुनावी रण में कांग्रेस को अपने 'राजनीतिक पितामह' के बिना ही जीत हासिल करने की चुनौती स्वीकारनी होगी।

हालांकि संकट इस कदर है कि जंगीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे पुत्र अभिजीत मुखर्जी की सहायता के लिए भी वे मैदान में नहीं आ सकते।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.