एंटीबायोटिक का बेहतर विकल्प साबित हुआ चरक का नुस्खा
बिना एंटीबायोटिक सफलतापूर्वक हुए दर्जनों ऑपरेशन, आयुर्वेदिक सूत्रों का लिया सहारा, मेडिकल जर्नल में भी छपेगा मेरठ के सर्जन का शोध...
मेरठ (संतोष शुक्ल)। एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध इस्तेमाल बीमारियों से लड़ने की हमारी क्षमता को खत्म कर रहा है। नतीजा, एंटीबायोटिक का हाई डोज भी अब बेअसर साबित हो रहा है। चिंतित मरीज भी हैं और डॉक्टर भी। लेकिन करें क्या? मेरठ के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. संजय जैन ने इसका हल खोजने की कोशिश की है। उनका दावा है कि आयुर्वेद के नुस्खों का इस्तेमाल कर एक नहीं, बल्कि कई ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न किए। इनमें मरीज को एंटीबायोटिक दवाओं की जगह चरक के नुस्खे से तैयार आयुर्वेदिक दवाएं दी गईं। डॉ. जैन का दावा इसलिए भी खास लग रहा है क्योंकि एक एलोपैथिक चिकित्सक होने के बावजूद वह आयुर्वेद का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से साझा: डॉ. जैन एंटीबायोटिक की जगह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर कई मरीजों का ऑपरेशन कर चुके हैं। नतीजे उम्मीद बढ़ाने वाले हैं। कई मरीजों को बिना एंटीबायोटिक के भी कोई संक्रमण नहीं हुआ और कुछ को बहुत हल्की एंटीबॉयोटिक देनी पड़ी। डॉ. जैन का यह शोध रिसर्च जर्नल आर्युवेदा एंड इंटीग्रेटिव मेडिसन में छपने के लिए स्वीकृत हुआ है। इस नई चिकित्सा पद्धति पर एक प्रजेंटेशन भी जल्द इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के सामने होने जा रहा है।
प्राकृतिक जीवाणुरोधक : इस प्रयोग की शुरुआत डेढ़ साल पहले हुई। आनंद अस्पताल में 82 वर्षीय मरीज ओजस्वी शर्मा के प्रोस्टेट का ऑपरेशन किया गया था। छह डॉक्टरों की इस टीम में शामिल डॉ. जैन ने संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबायोटिक की जगह पंच तिक्त घृत गूगल, त्रिफला, हल्दी के तेल, गिलोय एवं आरोग्यवर्धनी बूटी का फार्मूला आजमाने की सलाह दी। इसके लिए पतंजलि के आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण से भी परामर्श लिया गया। प्री-ऑपरेशन और पोस्ट ऑपरेशन यानी ऑपरेशन से पहले और बाद में दी जाने वाली दवाओं की डोज तय की गई। प्रयोग रहा। मरीज में कोई संक्रमण नहीं हुआ। इसके बाद डॉ. जैन ने चरक एवं सुश्रुत संहिता के नुस्खों को एलोपैथिक इलाज में आजमाना शुरू किया। एंटीबायोटिक दिए बगैर तमाम मरीजों की हड्डी का ऑपरेशन किया गया। जटिल और संक्रमण की आशंका वाले ऑपरेशनों में भी सिर्फ सिंगल शॉट एंटीबायोटिक दी गई। फॉलोअप के मरीजों को प्राकृतिक नुस्खों पर रखा गया और उन्हें किसी एलोपैथिक एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं पड़ी।
आशा की किरण : डॉ. संजय जैन, आर्थोपेडिक सर्जन का कहना है, मौजूदा समय में उच्च गुणवत्ता की मेरोपेनम जैसी तमाम एंटीबायोटिक दवाएं फेल हो रही हैं या फिर साइडइफेक्ट से मानव अंगों पर बुरा असर डाल रही हैं। एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो रही है। इनसे शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया खत्म हो रहे हैं। ऐसे में इस तरह के प्रयोग मेडिकल साइंस में नई राह खोल सकते हैं। अस्पतालों में हैवी बैक्टीरिया लोड से मरीज सेकेंडरी इंफेक्शन का शिकार हो रहे हैं। आयुर्वेद में तमाम विकल्प हैं, जिनका बतौर विकल्प इस्तेमाल किया जा सकता है।
मैंने डेढ़ वर्ष पहले प्रोस्टेट का ऑपरेशन कराया था। चिकित्सकों ने मुझे एंटीबायोटिक की जगह आयुर्वेदिक दवाएं दी थीं। ऑपरेशन के बाद भी मुझे आयुर्वेदिक दवाएं ही दी गईं। मेरा जख्म जल्द ही भर गया। मैं अपने इलाज से संतुष्ट हूं। - ओजस्वी शमा
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