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नीतीश कटारा की हत्या में विकास यादव काटेगा 25 साल जेल

सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव को नीतीश कटारा हत्याकांड में हाई कोर्ट से दी गई 25 साल की कैद पर अपनी मुहर लगा दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से विकास को थोड़ी राहत जरूर मिली है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Sun, 02 Oct 2016 07:40 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2016 01:13 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बाहुबली नेता डीपी यादव के पुत्र विकास यादव को नीतीश कटारा की हत्या के जुर्म में 25 साल जेल काटनी होगी। इस बीच उसे सरकार की ओर से माफी नही मिल सकती। सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव को नीतीश कटारा हत्याकांड में हाई कोर्ट से दी गई 25 साल की कैद पर अपनी मुहर लगा दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से विकास को थोड़ी राहत जरूर मिली है।

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उसकी पांच साल की कैद घट गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश में संशोधन कर हत्या के जुर्म में दी गई 25 साल की कैद और सुबूत नष्ट करने के जुर्म में दी गई पांच साल की कैद की सजा एक साथ चलाने का आदेश दिया है इससे विकास की पांच साल की कैद घट गई है। हाई कोर्ट ने दोनों सजाएं अलग-अलग काटने का आदेश दिया था। विकास के अलावा उसके सहयोगी सुखदेव पहलवान को 20 साल जेल काटनी होगी।ये आदेश सोमवार को न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति सी. नागप्पन की पीठ ने विकास यादव और सुखदेव पहलवान की याचिकाओं पर सुनाया।

दोनों अभियुक्तों ने 30 वर्ष और 25 वर्ष जेल की सजा देने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सिर्फ सजा की अवधि पर सुनाया है। नीतीश कटारा की हत्या के जुर्म में सुप्रीम कोर्ट दोनों को पहले ही दोषी मान चुका है। नीतीश कटारा की 2002 में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में निचली अदालत ने विकास यादव उसके ममेरे भाई विशाल यादव और एक अन्य सहयोगी सुखदेव पहलवान को उम्रकैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी।

हाई कोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए विकास और विशाल यादव को हत्या में 25 -25 साल का कारावास और सुबूत नष्ट करने में पांच-पांच साल के कारावास की सजा सुनवाई थी। जबकि सुखदेव पहलवान को 20 साल और पांच साल की सजा दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि ये सजाएं अलग अलग चलेंगी और इस बीच सरकार अभियुक्तों को माफी नहीं दे सकती।सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश में मामूली बदलाव करते हुए बाकी के फैसले को यथावत रहने दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विकास और सुखदेव पहलवान को हत्या के जुर्म में सुनाई गई 25 और 20 साल की कैद और सुबूत नष्ट करने के जुर्म में दी गई पांच-पांच साल की कैद की सजा अलग अलग न चलकर एक साथ चलेंगी। दोनों अभियुक्तों को पांच साल की कैद से राहत मिल गई है। हालांकि विशाल यादव ने सजा की अवधि के बारे में याचिका दाखिल नहीं की थी। हाई कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड को ऑनर किलिंग माना था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि हाई कोर्ट को ऐसा फैसला देने का अधिकार है। मामले को देखते हुए वह हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं। अपराध की बर्बरता के बारे हाईकोर्ट के फैसले में दर्ज प्रकरणों को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भी दर्ज किया है।

झूठी शान के लिए नहीं मारा जा सकता लड़की की पसंद को

सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा की हत्या को ऑनर किलिंग मानने के हाई कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए कहा है कि कोई अपनी शान और सम्मान को अपनी जिंदगी मान सकता है, लेकिन किसी का सम्मान दूसरे के सम्मान की कीमत पर नहीं हो सकता। स्वतंत्रता, स्वावलंबन और अपनी पहचान हर व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत होती है और ये अधिकार हर महिला को भी है जो किसी की पत्नी, पुत्री, मां या बहन है। उसके इस अधिकार को जबरदस्ती शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना के जरिये झूठी शान के नाम पर खत्म नहीं किया जा सकता। भाई या पिता अपनी झूठी शान के लिए लड़की द्वारा चुने गए लड़के को नहीं मार सकते। ऐसा करना लड़की के सम्मान को ठेस पहुंचाना है। ऐसा करना क्रूरता की अति है। ये निंदनीय है।

यह था मामला

जेल में सजा काट रहे विकास (39), विशाल (37) और सुखदेव (40) को उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता डीपी यादव की बेटी भारती के साथ कटारा का प्रेम संबंध पसंद नहीं था। विकास डीपी यादव का बेटा है। 16-17 फरवरी, 2002 को कटारा को अगवा कर मार डाला था।

पढ़ें- नीतीश कटारा हत्याकांड मामला, SC ने तीनो दोषियों की सजा बरकरार रखी


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