गुलजार देहलवी के सामने बोलना बेअदबी : अंसारी
मशहूर शायर गुलजार देहलवी के जन्मदिन के कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि गुलजार साहब के सामने बोलना बेअदबी होगी। उन्होंने उर्दू शायरी को अमूल्य तोहफा दिया है।
नोएडा, जागरण संवाददाता। मशहूर शायर गुलजार देहलवी के जन्मदिन के कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि गुलजार साहब के सामने बोलना बेअदबी होगी। उन्होंने उर्दू शायरी को अमूल्य तोहफा दिया है।
मंगलवार को सेक्टर-26 के सामुदायिक भवन में कार्यक्रम में हामिद अंसारी ने कहा कि दिल्ली भारत का सरताज है। कई बार राजधानी बदली है। पर लौटकर दिल्ली ही आना पड़ा है। गुलजार देहलवी ने अपनी शायरी में इसे बखूबी बयां किया है। उन्होंने गुलजार देहलवी की शायरी 'गुलजार आबरू-ए-अदब अब हमीं से, दिल्ली में अपने बाद ये लुत्फे सुखन कहां' पढ़ी। इस पर लोगों की तालियों से पूरा हॉल गूंज पड़ा।
नब्बे साल के हुए गुलजार देहलवी ने कहा कि कभी कांग्रेस और जमियत-ए-उलेमा के जलसे बिना उनकी शायरी के पूरे नहीं होते थे। उर्दू कौम को एक करने वाली जबान है और यह मिठास घोलती है। उन्होंने कहा कि अभी कुछ लोग देश को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। पर वे अपने मंसूबों में सफल नहीं होंगे। कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के मंत्री कैलाश यादव ने कहा कि गुलजार देहलवी ने अपनी लेखनी से लोगों के दिलों को छुआ है। उनकी लेखनी में लोगों को बांधने वाला जादू है।
फिसली मंत्री जी की जुबान
उद्बोधन के दौरान प्रदेश सरकार के पंचायती राज्य मंत्री कैलाश यादव की जुबान फिसलती रही। वह गुलजार देहलवी को बार-बार लखवी साहब कह कर बुला रहे थे। इस पर दर्शक अपनी हंसी नहीं रोक पाए।
गंगा-जमुनी तहजीब की झलक पेश की देहलवी ने
अपनी शायरी में गंगा-जमुनी तहजीब की झलक पेश करने वाले मशहूर शायर गुलजार देहलवी मंगलवार को नब्बे साल के हो गए। गुलजार देहलवी को उनकी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत शायरी के लिए भी जाना जाता है। कभी कांग्रेस के जलसे बिना उनकी शायरी पूरी नहीं होती थी।
गुलजार देहलवी का जन्म 7 जुलाई 1926 को दिल्ली में हुआ। उन्होंने शायरी की शुरुआत स्कूली पढ़ाई के दौरान ही कर दी। तब वह अपने माता-पिता के साथ दिल्ली में रहते थे। आजादी के आंदोलन के दौरान एक दिन अरुणा आसफ अली गुलजार देहलवी के घर आईं और उनके माता-पिता से कहा कि च्स बच्चे को हमें दे दीजिए। उस समय गुलजार देहलवी मैट्रिक की पढ़ाई कर रहे थे। इसके बाद लगातार वह कांग्रेस के जलसों में देशभक्ति शायरी से जोश भरते रहे। इस बीच उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एएम और एलएलबी की पढ़ाई भी पूरी की।
वर्ष 1993 में उन्होंने नोएडा में घर ले लिया। तब से पत्नी कविता जुत्शी के साथ यहीं रहते हैं। उनकी बेटी मीना शादी के बाद से अमेरिका में रहती हैं। वहीं बेटा अनूप जुत्शी परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं। गुलजार देहलवी की उर्दू और हिंदी में एक दर्जन से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।