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धनतेरस पर ज्वैलरी नहीं गोल्ड बॉन्ड खरीदिए, आपको होंगे ये पांच बड़े फायदे

इस धनतेरस पर अगर आप सोने में निवेश की योजना बना रहे हैं तो ज्वैलरी खरीदने के बजाए आपके लिए गोल्ड बॉण्ड का चयन करना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 04:59 PM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 05:05 PM (IST)
धनतेरस पर ज्वैलरी नहीं गोल्ड बॉन्ड खरीदिए, आपको होंगे ये पांच बड़े फायदे

नई दिल्ली। इस धनतेरस पर अगर आप सोने में निवेश की योजना बना रहे हैं तो ज्वैलरी खरीदने के बजाए आपके लिए गोल्ड बॉण्ड का चयन करना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। आमतौर पर लोग निवेश के लिए सोने के सिक्के और गहने खरीदते हैं। लेकिन आपको बता दें गोल्ड बॉण्ड में निवेश एक बेहतर विकल्प है। इसमें निवेश करने से कई लाभ उठाए जा सकते हैं। जागरण डॉट कॉम की टीम आज अपने पाठकों को गोल्ड ज्वैलरी की तुलना में गोल्ड बॉण्ड में निवेश के फायदे बताने जा रहा है।

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जानिए क्या है गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने के पांच बड़े फायदे

बेहतर रिटर्न:

गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने पर अच्छा ब्याज मिलता है। इसमें ब्याज सहित सोने की कीमतों में आई तेजी के अनुसार रिटर्न भी मिलता है। साथ ही आपको बता दें इसमें निवेश करने से डीमैट और ईटीएफ जैसे कोई शुल्क नहीं लगाए जाते हैं। गोल्ड बॉण्ड की ब्याज दर 2.75 फीसदी है। इस पर मिलने वाला ब्याज सोने के मौजूदा भाव के हिसाब से तय होता है।

निवेश भी बचत भी:

सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए आप गोल्ड बॉण्ड को डिजिटल फॉर्म में सुरक्षित रख सकते हैं। दूसरी ओर आप इसे अपने घर या डीमेट एकाउंट में भी रख सकते हैं। इससे आपका लॉकर पर होने वाला खर्च भी बच जाएगा।

धोखाधड़ी की कोई संभावना नहीं:

गोल्ड बॉण्ड में किसी तरह की धोखाधड़ी और अशुद्धता की संभावना नहीं होती है। गोल्ड बॉण्ड में मिलने वाला सोना शत प्रतिशत शुद्ध सोने की ही वैल्यु देता है।

कैपिटल गेन टैक्स की हो सकती है बचत:

गोल्ड बॉण्ड की कीमतें सोने की कीमतों में अस्थिरता पर निर्भर करती है। सोने की कीमतों में गिरावट गोल्ड बॉण्ड पर नकारात्मक रिटर्न देता है। इस अस्थिरता को कम करने के लिए सरकार लंबी अवधि वाले गोल्ड बॉण्ड जारी कर रही है। इसमें निवेश की अवधि 8 वर्ष होती है, लेकिन आप 5 वर्ष के बाद भी अपने पैसे निकाल सकते हैं। पांच वर्ष के बाद पैसे निकालने पर कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगाया जाता है।

बढ़वा सकते हैं गोल्ड बॉण्ड की मैच्योरिटी:

गोल्ड बॉण्ड की अवधि मैच्योरिटी पीरियड के बाद तीन वर्ष के लिए और बढ़वाई जा सकती है। इसकी मदद से मैच्योरिटी के समय बाजार के नकारात्मक संकेतों से बचा जा सकता है।


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