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ये है विश्‍व की पांच बड़ी सैन्‍य शक्तियां, जानें इनमें कहां आता है भारत

विश्‍व में अमेरिका का रक्षा बजट अन्‍य देशों की तुलना में सबसे अधिक है। वहीं रूस के पास विश्‍व की सबसे बड़ी टैंक रेजीमेंट है। लेकिन इन सभी में भारत कहां आता है, जानें।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 01:38 PM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 09:00 AM (IST)
ये है विश्‍व की पांच बड़ी सैन्‍य शक्तियां, जानें इनमें कहां आता है भारत
ये है विश्‍व की पांच बड़ी सैन्‍य शक्तियां, जानें इनमें कहां आता है भारत

नई दिल्ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। बीते कुछ वर्षों में भारत ने तकनीक, रक्षा और अं‍त‍रिक्ष के क्षेत्र में काफी तरक्‍की की है। यह तीनों एक दूसरे से न सिर्फ जुड़े हुए हैं, बल्कि इनका सुरक्षा के लिहाज से काफी बड़ा योगदान है। फिर चाहे वह इसरो हो या डीआरडीओ या फिर तकनीक के क्षेत्र में काम कर रही दूसरी कंपनियां हों। इन सभी का देश की सुरक्षा में काफी अहम योगदान है। इन्‍हीं वजहों से कोई भी देश अपनी सैन्‍य क्षमता में दूसरों से आगे निकल पाता है, जैसे अब भारत निकला है। भारत आज विश्‍व का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है। पिछले पांच वर्षों में बड़े हथियारों का व्यापार शीतयुद्ध के बाद से सर्वाधिक हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह पश्चिम एशिया और एशिया में हथियारों की मांग में तेजी रही है। सैन्‍य शक्ति के मामले में यह पांच देश दुनिया में सबसे आगे हैं।

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अमेरिका

दुनिया की सबसे ताकवर अमेरिकी सेना को माना गया है। अमेरिका अपनी सैन्य शक्ति पर अन्य देशों की तुलना में करीब 612 बिलियन डॉलर खर्च करता है। उसके पास अत्याधुनिक हथियारों के साथ 2,130 क्रूज मिसाइल, 450 बैलिस्टिक मिसाइल और 19 विमान वाहक हैं, जो हवा से हवा में वार करने में सक्षम हैं। अपने अत्याधुनिक हथियारों और मजबूत जहाजी बेड़े के कारण यह विश्व की सबसे शक्तिशाली नौसेना है। अमेरिका के पास दुनिया की सबसे ज्यादा प्रशिक्षित विशिष्ट सैनिकों की बड़ी फौज है, जो किसी भी देश पर पूरी ताकत से हमला करे, तो कुछ ही समय में तबाह कर दे।


2007 से 2016 के दौरान अमेरिका से मध्य-पूर्व के देशों को बेचे जाने वाले हथियारों में करीब 86  फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वर्ष 2012-2016 के दौरान हुए कुल आयात का 29  फीसद रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्यातक हैं। विश्‍व के कुल निर्यात में इनकी हिस्‍सेदारी करीब 74 फीसद है। अमेरिका ने 2007-11 की तुलना में 2012-16 में 21 फीसद अधिक हथियार निर्यात किए हैं। इनमें भी आधा निर्यात केवल मध्य-पूर्व के देशों को किया गया है। वहीं अमेरिका द्वारा आयात किए गए हथियारों में 2007-11 और 2-11-16 के बीच करीब 18 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका अपने रक्षा खर्चों में किसी तरह की ढील नहीं होने देता है। अमेरिका का कुल रक्षा बजट 596 बिलियन डॉलर है, जो कि अमेरिका के कुल जीडीपी का 3.3 फीसदी है।

चीन

चीन की सेना दुनिया में तीसरे नंबंर पर है। चीन का सैन्‍य बजट मौजूदा समय में करीब 126 बिलियन डॉलर है। इस समय चीन के पास 22 लाख 85 हजार की सक्रिय सेना और 23 लाख सैनिक रिजर्व में हैं। हाल ही में उसने अपनी सेना में एफ-35 फाइटर प्लेन शामिल किए हैं। हथियारों के निर्यात में चीन ने भी बढ़ोतरी दर्ज की है। उसने 2007-11 में उसकी हिस्सेदारी 3.8  फीसद थी, जो 2012-16 में बढ़कर 6.2 फ़ीसद हो गई। चीन रक्षा खर्च के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है चीन का कुल रक्षा बजट 215.0 बिलियन डॉलर है जो कि चीन की जीडीपी का 1.9 फीसदी है।

रूस

दूसरे नंबर पर रूस की सेना है। सोवियत संघ के विघटन के तकरीबन दो दशकों बाद इस देश ने फिर से अपनी सेना को मजबूत कर लिया है। उसने अपने सैन्य बजट में 44 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी की है। इस समय रूस के पास 7 लाख 66 हजार सक्रिय सैनिक, 24 लाख 85 हजार प्रशिक्षित सैनिक रिजर्व और 15,500 से ज्यादा टैकों की दुनिया की सबसे बड़ी टैंक सेना है। रूस 2012-16 के दौरान भारी हथियारों के निर्यात में रूस का हिस्सेदारी करीब  23 फीसद थी। इस दौरान रूस ने भारत, वियतनाम, चीन और अल्जीरिया को हथियारों का निर्यात किया था। दुनिया का सबसे बड़ा देश रुस अपने रक्षा बजट पर खर्च के मामले में चौथे स्थान पर आता था, लेकिन अब वह तीसरे नंबर पर है। सैन्य खर्च के मामले में रूस ने 5.9 फीसदी की बढ़ोतरी की है। रूस का सैन्य खर्च 69.2 अरब डॉलर है। इससे पहले रुस का कुल रक्षा बजट 66.4 बिलियन डॉलर था जो कि उसके कुल जीडीपी का 5.4 फीसदी था। 

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सऊदी अरब

सीपरी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012-16 तक सऊदी अरब में हथियारों का आयात पिछले पांच की तुलना में 212 फीसदी बढ़ गया है और यह बड़े आयातकों में दूसरे नंबर पर है। साल 2015 में रक्षा खर्च के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर रहा सऊदी अरब साल 2016 में लुढ़कर चौथे स्थान पर आ गया। साल 2016 में उसका रक्षा खर्च 30 फीसदी गिरावट के साथ 63.7 अरब डॉलर का रहा। सऊदी अरब का कुल रक्षा बजट 87.2 बिलियन डॉलर है जो कि उसकी कुल जीडीपी का 13.2 फीसदी है।

भारत

भारत की गिनती आज दुनिया के पांच बड़ी सैन्‍य शक्तियों में होती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है। इस क्षेत्र में भारत ने चीन समेत पाकिस्‍तान को भी पछाड़कर रख दिया है। वहीं भारत के रक्षा बजट में भी जबरदस्‍त वृद्धि की गई है। भारत अपनी रक्षा तैयारी पर सबसे ज्यादा रकम खर्च करता है। स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान के मुताबिक भारत रक्षा तैयारी में खर्च करने वाला दुनिया का पांचवां देश बन गया है। साल 2016 में भारत का सैन्य खर्च 8.5 फीसद तक रहा और भारत ने सेना पर 55.9 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं। सीपरी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2012 से 2016 के बीच दुनिया के कुल शस्त्र आयात में भारत की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत रही जो सभी देशों में सर्वाधिक है।

सीपरी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2007-2011 और 2012-16 के बीच भारत का शस्त्र आयात 43 प्रतिशत बढ़ गया है। भारत के पास इस समय बैलिस्टिक मिसाइलों का बड़ा जखीरा है, जो पड़ोसी दुश्मन देशों पाकिस्तान और चीन के किसी भी शहर को निशाना बनाने में सक्षम है। अब तमाम भारतीय और विदेशी कंपनियां भारत के रक्षा उपक्रमों में निवेश कर रही हैं। अर्जुन टैंक, तेजस फाइटर जेट इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इसके अलावा भारत धनुष तोप, मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम पिनाका, इंन्सास राइफल, बुलेटप्रूफ जैकेट-हेलमेट, सेना के लिए विशेष ट्रक-गाड़ियां, मिसाइल, अरिहंत पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट कैरियर जैसे तमाम हथियार और सैन्य उपकरण बना रहा है। वहीं अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन भारत में F-16 लड़ाकू विमान का कारखाना खोलने में रुचि दिखा रही है।


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