योगी के सामने विधानसभा चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं
छह माह के भीतर विधानपरिषद में कोई सीट खाली नहीं हो रही है। जनता में अच्छा संदेश जाये इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव के जरिए ही सदन में जाएंगे।
लखनऊ (जेेएनएन)। सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री चुने गए योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। सिर्फ वही नहीं, उनके दोनों उप मुख्यमंत्रियों समेत मंत्रिमंडल के दो अन्य सदस्यों को भी विधायकी के चुनाव में उतरना पड़ेगा। इन सबके लिए छह माह के भीतर विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता हासिल करना अनिवार्य है और फिलहाल चुनाव के अलावा अन्य विकल्प नहीं दिखाई दे रहे।
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चार बार सांसद रह चुके हैं और यह पहला मौका होगा जबकि वह विधानसभा चुनाव से रूबरू होंगे। अब तक वह अपने लोगों को ही विधानसभा चुनाव लड़ाते रहे हैं। उनके लिए कई विधायकों ने अपनी सीट छोडऩे की पेशकश भी की है। इसी तरह उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा भी पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। हालांकि वह महापौर का चुनाव लड़ते रहे हैं। उनके लिए भी कई विधायकों ने सीट छोडऩे की कोशिश की है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को अलबत्ता चुनाव का अनुभव है।
पिछली विधानसभा चुनाव में वह कौशांबी के सिराथू क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। बाद में सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। इस बार भी संभावना यही है कि वह अपनी पुरानी सीट से ही चुनाव लड़ेंगें, हालांकि उनके लिए भी कई विधायक अपनी सीट छोडऩे की पेशकश कर चुके हैं। मंत्रियों में स्वतंत्रदेव सिंह और मोहसिन रजा को भी प्रदेश के दोनों सदनों में से किसी एक की सदस्यता की जरूरत होगी।
वैसे इन मंत्रियों में किसी एक को विधानपरिषद में जाने का विकल्प हासिल हो सकता है क्योंकि सपा एमएलसी रहे बनवारी यादव के निधन से उनकी एक सीट रिक्त है।
छह माह के भीतर विधानपरिषद में कोई सीट खाली नहीं हो रही है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जनता में अच्छा संदेश जाये इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव के जरिए ही सदन में जाएंगे, यह मन वह बना चुके हैं। वह कहां से चुनाव लड़ेंगे यह तय नहीं है, पर माना जा रहा है कि वह गोरखपुर को ही तरजीह देंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार योगी ही नहीं, अन्य मंत्री भी उच्च सदन की अपेक्षा चुनाव लड़कर विधानसभा में अपनी मौजूदगी को महत्व दे रहे हैं।