सुप्रीम कोर्ट ने सीडी को दी कानूनी सबूत के तौर पर मान्यता
एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सीडी को दस्तावेज करार देते हुए उसे कानूनी सबूत के तौर पर मान्यता दे दी। कोर्ट ने कहा कि वादी को मुकदमे के दौरान इस इलेक्ट्रॉनिक सबूत को स्वीकार करने या नहीं करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
नई दिल्ली: एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सीडी को दस्तावेज करार देते हुए उसे कानूनी सबूत के तौर पर मान्यता दे दी। कोर्ट ने कहा कि वादी को मुकदमे के दौरान इस इलेक्ट्रॉनिक सबूत को स्वीकार करने या नहीं करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने सीडी की प्रामाणिकता का फैसला किए बगैर आरोपी शमशेर सिंह वर्मा को टेलीफोन पर हुई बातचीत के टेप को रिकार्ड पर लाने की इजाजत दे दी। इस अनुमति से वर्मा बाल यौन उत्पीड़न के मामले में अपनी बेगुनाही साबित कर सके।
जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस पीसी पंत ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का आदेश खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी। हाई कोर्ट ने निचली अदालत से सहमति जताते हुए वर्मा को टेलीफोन पर हुई बातचीत की सीडी पेश करने की इजाजत नहीं दी थी।
पीडि़त लड़की के पिता के साथ वर्मा की पत्नी और बेटे की फोन पर बातचीत हुई थी। आरोपी यह साबित करना चाहता था कि दोनों परिवारों के बीच संपत्ति विवाद था, जिसकी वजह से यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में उसे फंसाया गया।
निचली अदालत पेश करने दे सीडी
शीर्ष अदालत ने बातचीत की टेप की सीडी की प्रामाणिकता पर कोई टिप्पणी नहीं की, बल्कि निचली कोर्ट को आदेश दिया कि वह आरोपी वर्मा को सबूत के तौर पर रिकॉर्ड पर सीडी रखने और सुनवाई के दौरान उसके सच होने की बात साबित करने दे।
मामले के गुण-दोष पर कोई राय जाहिर किए बगैर पीठ ने कहा कि अपील स्वीकार की जाती है और हाई कोर्ट व निचली अदालत का आदेश खारिज किया जाता है। सीडी को सबूत के तौर पर पेश करने और फोरेंसिक लैब में इसके परीक्षण की अनुमति दी जाती है। आरोपी को मुकदमे के देरी के आधार पर जमानत का पात्र नहीं माना जाना चाहिए।