इस पूजा पर 3डी प्रिंटेड दुर्गा प्रतिमा
कला और विज्ञान के अद्भुत मेल का नमूना इस बार कोलकाता में दुर्गा पूजा के एक विशेष पंडाल में देखने को मिलेगा। मां दुर्गा और अन्य देवियों की प्रतिमाएं अत्याधुनिक कागज पर 3डी प्रिंटर तकनीक से बनाई गई हैं। ऐसा दुर्गा पूजा के इतिहास में पहली बार हुआ है। चूंकि हाल के महीनों में 3डी प्रिटिंग तकनीक से विश्व भर में चिकित्सा, वि
कोलकाता। कला और विज्ञान के अद्भुत मेल का नमूना इस बार कोलकाता में दुर्गा पूजा के एक विशेष पंडाल में देखने को मिलेगा। मां दुर्गा और अन्य देवियों की प्रतिमाएं अत्याधुनिक कागज पर 3डी प्रिंटर तकनीक से बनाई गई हैं। ऐसा दुर्गा पूजा के इतिहास में पहली बार हुआ है। चूंकि हाल के महीनों में 3डी प्रिटिंग तकनीक से विश्व भर में चिकित्सा, विज्ञान, फिल्म, कला, एयरोस्पेस, वास्तुकला और डिजाइन के क्षेत्र में अनूठे कार्य हुए हैं।
इस बार साउथ कोलकाता की एक दुर्गा पूजा कमेटी ने हाथ से बनी कलाकृति के बजाय हाईटेक दुर्गा बनाने का ऐलान किया है। इसके लिए प्रतिमा बनाने में आमतौर पर मिट्टी का इस्तेमाल न करके कागज का इस्तेमाल होगा। 3डी प्रिटिंग के जरिए त्री आयामी वस्तु बनती है। 3डी प्रिंटर इतनी परफेक्ट तकनीक है कि आप इसकी मदद से कोई भी वस्तु हूबहू त्रिआयामी बना सकते हैं। इसलिए इस बार 3डी प्रिंटर पर स्कल्पचर ऐप का इस्तेमाल करके दुर्गा जी की त्रिआयामी प्रतिमा बनाई जाएगी। जोधपुर पार्क की पूजा कमेटी की बनावाई 3डी प्रिंटेड प्रतिमा लंबाई में 8.5 इंच और चौड़ाई में 14 इंच की है। शिल्प बनाने की ऐप्लीकेशन और 3डी प्रिंटर की मदद से ये प्रतिमाएं अद्भुत स्वरूप ले रही हैं। इसे बनाने के लिए दफ्तर में इस्तेमाल किए जाने वाले साधारण ए4 साइज पेपर का ही इस्तेमाल हुआ है। यानी ये कंप्यूटर से डिजाइन और कंप्यूटर की प्रक्रिया से ही निर्मित प्रतिमा है। प्रिंट्ज वर्ल्ड वाइड की निदेशक उज्ज्वला मित्र ने बताया कि ये उनका ही विचार था। उन्होंने दावा किया कि ये 3डी प्रिंटर से बनी दुनिया की पहली प्रतिमा है। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतिमा को डिजिटल स्वरूप में कई बार हूबहू बनाया जा सकता है। 3डी प्रिंटर ने पूरी प्रतिमा को परत दर परत बनाया है। उन्होंने बताया कि इस एक प्रतिमा को बनाने में कागज, गोंद और अन्य सभी सामग्री मिलाकर 60 हजार रुपये का खर्च आया है।