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मिसाल बनी शमसाद बेगम, बहन की हिंदू सहेली को दान देंगी किडनी

फतेहपुर के रारीबुजुर्ग की निवासी मुस्लिम महिला शमसाद बेगम अपनी बहन की सहेली व पुणे (महाराष्ट्र) में रहने वाली एक हिंदू महिला को किडनी दान करने की घोषणा की है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 29 Jul 2016 10:58 AM (IST)Updated: Fri, 29 Jul 2016 12:01 PM (IST)
मिसाल बनी शमसाद बेगम, बहन की हिंदू सहेली को दान देंगी किडनी

फतेहपुर [गोविंद दूबे] । जाति-धर्म व रिश्ते-नाते मानवीय संवेदनाओं पर हमेशा से भारी रहे हैं। समय-समय पर कुछ लोगों ने इसे सिद्ध किया है। ऐसे लोग समाज के प्रणेता बने हैं, मानवता की मिसाल कायम की है। अपने को 'इंसानों की श्रेणी में रखने की कोशिश की है फतेहपुर के रारीबुजुर्ग की निवासी मुस्लिम महिला शमसाद बेगम ने। उन्होंने अपनी बहन की सहेली व पुणे (महाराष्ट्र) में रहने वाली एक हिंदू महिला को किडनी दान करने की घोषणा की है। मानव अंग प्रत्यारोपण की जिला समिति से उन्होंने अपनी किडनी देने की गुजारिश की। समिति ने अनुमति पर मुहर लगाते हुए फाइल अंतिम स्वीकृति के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य के पास भेज दी है।

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फतेहपुर के बिंदकी तहसील मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव रारीबुजुर्ग की महिला शमसाद बेगम पिछले एक दशक से एकांकी जीवन जी रही हैं। निकाह के बारह साल बाद पति सगीर की मौत हो गई, इसके बाद शमसाद बेगम इकलौती बेटी के सहारे पिता जाकिर खां के साथ रहने लगी। शमसाद की छोटी बहन जुनैदा खातून पुणे में रहती हैं। शमसाद अपनी बहन के पास अक्सर जाती रहती हैं। इसी दौरान पुणे के मानसरोवर में रहने वाली बहन की सहेली आरती से उसका अपनत्व बढ़ गया।

आरती की किडनी खराब होने पर बहन की परेशानी ने उसे झकझोर कर रख दिया। आखिर उसने आरती की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दान देने का फैसला कर लिया। इसे कुदरत का करिश्मा ही कहा जाएगा कि शमसाद बेगम की किडनी आरती की किडनी से मैच कर गयी। शमसाद बेगम ने शपथपत्र में कहा कि वह इंसानियत के नाते अपनी किडनी आरती को देना चाहती है। सीएमओ विनय कुमार ने बताया कि शमसाद बेगम की इच्छा का सम्मान करते हुए पत्रावली को अंतिम निर्णय के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य के पास भेजा जाएगा।

अल्लाह ने दिया मौका : शमसाद बेगम कहती हैं कि जाति-धर्म व रिश्तों से बढ़कर इंसानियत होती है। एक ही खुदा के सब बंदे हैं। बहन की सहेली की पीड़ा देखकर मन में आया कि अल्लाह की रहमत से ही किसी का जीवन बचाने का एक मौका मिला है। इससे ज्यादा फक्र और क्या होगा कि मेरे अंग के दान से किसी की जान बचेगी और उस परिवार के घर खुशियां आ जाएंगी।


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