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राष्ट्रपति ने दूसरी पारी की सियासी हवा को दिया विराम - कहा, अधिकारियों को दे रहा हूं विदाई

राष्ट्रपति मुखर्जी ने अपनी दूसरी पारी में नहीं होने का साफ संदेश देते हुए कहा है कि उनका कार्यकाल केवल दो महीने रह गया है और 25 जुलाई से नए राष्ट्रपति के कार्यकाल का दौर शुरू हो जाएगा।

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 11:49 AM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 11:49 AM (IST)
राष्ट्रपति ने दूसरी पारी की सियासी हवा को दिया विराम - कहा, अधिकारियों को दे रहा हूं विदाई
राष्ट्रपति ने दूसरी पारी की सियासी हवा को दिया विराम - कहा, अधिकारियों को दे रहा हूं विदाई

नई दिल्ली (संजय मिश्र)। राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रणव मुखर्जी के नाम पर आम सहमति बनाने की विपक्षी दलों की कोशिशों को खुद ही राष्ट्रपति मुखर्जी ने विराम दे दिया है। मुखर्जी ने दूसरी बार राष्ट्रपति बनने की रेस में नहीं होने का साफ संदेश देते हुए कहा है कि उनका कार्यकाल केवल दो महीने रह गया है और 25 जुलाई से नए राष्ट्रपति के कार्यकाल का दौर शुरू हो जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तमाम विपक्षी नेताओं की शुक्रवार को बुलाई गई बैठक से पहले मुखर्जी के बयान के बाद एनडीए सरकार पर आम सहमति के लिए दबाव डालने का विपक्ष का विकल्प लगभग समाप्त हो गया है।

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राष्ट्रपति मुखर्जी के इस साफ संदेश के बाद विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बैठक में अब राष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार से लेकर बदले सियासी हालात में संयुक्त रणनीति पर चर्चा होगी। राष्ट्रपति मुखर्जी ने उनकी दूसरी पारी की संभावनाओं को भी खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि -अब मैं अपने साथ काम कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के योगदान की सराहना करते हुए उन्हें उनकी नई पोस्टिंग के लिए बधाई देते हुए विदाई कर रहा हूं। मेरा कार्यकाल आज से केवल दो महीने रह गया है और अगले 25 जुलाई से नए राष्ट्रपति का कार्यकाल शुरू हो जाएगा।

राष्ट्रपति भवन में मुखर्जी ने गुरूवार को अपने प्रेस सचिव वेणु राजामणि के विदाई समारोह के आयोजन के दौरान कुछ पत्रकारों से रुबरू होते हुए यह बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की। मुखर्जी ने यह भी कहा कि अपने राष्ट्रपति काल के दौरान संवैधानिक ढांचे की परिपाटी में वे कितना फिट साबित हुए इसका आकलन वे खुद नहीं करेगे। राष्ट्रपति की इस बेहद सारगर्भित टिप्पणी से भी साफ है कि मुखर्जी अपने 5 साल के कार्यकाल के बाद दूसरी पारी की ओर नहीं देख रहे। गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले मुखर्जी के नाम पर आम सहमति की वकालत कर उनकी दूसरी पारी के लिए सियासी सरगर्मी शुरू की। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी समेत विपक्षी नेताओं ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने की कोशिश की ताकि एनडीए सरकार पर दबाव बनाया जा सके। मगर एनडीए ने विपक्ष की आम सहमति के दांव पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस सियासी दांव पेंच के बीच मुखर्जी ने गुरूवार को खुद ही इस चर्चा को अपनी तरफ से विराम दे दिया है।

राष्ट्रपति मुखर्जी के इस साफ नजरिए के बाद सोनिया गांधी की शुक्रवार को हो रही विपक्षी नेताओं के साथ बैठक और भी महत्वपूर्ण हो गई है। आम सहमति की गुंजाइश लगभग खत्म होने के बाद चुनावी मुकाबला तय माना जा रहा है। इसलिए विपक्ष के सभी नेता इस बैठक में राष्ट्रपति चुनाव पर आगे की रणनीति और चुनावी तैयारियों पर मंथन करेंगे। इसमें विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नामों पर भी औपचारिक चर्चा की संभावना है। विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को राष्ट्रपति के लिए अपने संभावित उम्मीदवारों की सूची में रखा है।

इसमें गांधी का नाम सबसे प्रबल है। सोनिया ने विपक्षी नेताओं को दोपहर के भोज के बहाने चर्चा के लिए बुलाया है। राष्ट्रपति चुनाव पर पहले दौर की अलग-अलग हुई चर्चाओं के बाद सोनिया की सभी विपक्षी नेताओं के साथ यह पहली संयुक्त बैठक है। इसमें ममता बनर्जी, शरद यादव, सीताराम येचुरी, फारूख अब्दुल्ला से लेकर विपक्ष के कई अहम नेता शरीक होंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हालांकि इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्षी पार्टियों से चर्चा के दौरान सोनिया ने आम आदमी पार्टी को दूर ही रखा है। इसीलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बैठक का न्यौता नहीं भेजा गया है।


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