जल्द टूट सकता है गीता प्रेस का गतिरोध
श्रमिकों के हड़ताल से जूझते गीता प्रेस का गतिरोध एक सितंबर को टूट सकता है। इस दिन गोरखपुर के उप श्रम आयुक्त की देखरेख में हड़ताली कर्मचारियों व गीता प्रेस प्रबंधन के बीच बैठक होगी। हालांकि इसके पहले सात बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन दोनों पक्षों के जिद पर अडे़
संजय मिश्र, गोरखपुर । श्रमिकों के हड़ताल से जूझते गीता प्रेस का गतिरोध एक सितंबर को टूट सकता है। इस दिन गोरखपुर के उप श्रम आयुक्त की देखरेख में हड़ताली कर्मचारियों व गीता प्रेस प्रबंधन के बीच बैठक होगी। हालांकि इसके पहले सात बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन दोनों पक्षों के जिद पर अडे़ होने से कोई रास्ता नहीं निकल पाया। अब नई परिस्थितियों में हो रही बैठक में समाधान निकलने की उम्मीद है। उप श्रम आयुक्त ने भी संकेत दिया है कि वह दोनों पक्षों को सहमति तक पहुंचने के लिए राजी कर रहे हैं।
92 साल से संचालित गीता प्रेस में प्रतिदिन हजारों पुस्तकें छपती हैं। इन पुस्तकों में गीता, रामचरित मानस तथा मासिक पत्रिका कल्याण भी है, जिनके कद्रदान लाखों में हैं। आठ अगस्त से चल रही कर्मचारियों की हड़ताल के कारण छपाई कार्य बंद है।
गीता प्रेस में सबसे बड़ा गतिरोध उन 17 कर्मचारियों की वापसी का मुद्दा है, जिन्हें प्रबंधन हड़ताल का मुख्य सूत्रधार मान रहा है। इनमें से 12 स्थायी और पांच ठेका कर्मचारी हैं। आरोप है कि वे पिछले एक साल से प्रेस में तनाव का वातावरण बना रहे हैं। सहायक श्रम आयुक्त सियाराम ने कहा कि दोनों पक्षों को बातचीत के लिए बुलाया गया है। हमें उम्मीद है कि बैठक में वे समाधान तक पहुंच जाएंगे।
प्रतिदिन बिकती 70 हजार पुस्तकें
देश भर के स्टालों पर गीता प्रेस की लगभग 65 से 70 हजार पुस्तकें प्रतिदिन बिकती हैं। पुस्तकों को लागत मूल्य से 30 से 60 फीसद कम दर पर पाठकों को उपलब्ध कराता है। हड़ताल के कारण देश भर में अधिकतर स्टालों पर गीता और रामचरित मानस की प्रतियों की कमी हो गई है।
बंद नहीं होगा गीता प्रेस
गीता प्रेस के प्रबंधन ने दावा किया है कि चाहे कोई भी परिस्थिति आए गीता प्रेस कभी बंद नहीं होगा। ट्रस्टी ईश्र्वरी प्रसाद पटवारी ने बातचीत में कहा कि एक दर्जन मनबढ़ कर्मचारियों ने अपने स्वार्थ के लिए शेष कर्मचारियों को बरगला दिया है, जिससे वे हड़ताल पर हैं। सिर्फ छपाई बंद है, न कि अन्य कार्य।