खुशहाली की राह बनेगी ‘समस्याओं की सड़क’
435 किलोमीटर का नेशनल हाइवे ‘एशियन हाइवे-1’ का एक भाग है, जो भारत को म्यांमार होते हुए बैंकाक और सिंगापुर से जोड़ेगा।
म्यांमार। भारत-म्यांमार सीमा पर बसे एक गांव मोरे में पहली बार भाजपा के झंडे लहरा रहे हैं। सीमा गेट से ठीक 200 मीटर पहले उम्मीदवार यांगलेट हावकिप का कार्यालय खुला है। यह वही रास्ता है, जिस पर करीब सवा सौ किलोमीटर पीछे भारत की ओर नगा संगठनों की नाकेबंदी के कारण आज भी ट्रकों की लंबी कतार लगी है। लेकिन म्यांमार की ओर बदस्तूर व्यापार चालू है, आवाजाही हो रही है।
नाकेबंदी को बदनाम एनएच-39 : असम के नुमालीगढ़ को मणिपुर स्थित म्यांमार सीमा पर बसे गांव मोरे से जोड़नेवाला नेशनल हाईवे-39 अक्सर लगनेवाले ब्लॉकेड (नाकेबंदी) के लिए बदनाम है। कभी नगा तो कभी कुकी जनजातियां अपनी-अपनी मांगों को लेकर इस प्रकार के बंद आयोजित कर देती हैं, जो लंबे समय तक चलते हैं। हाल ही में सामने आए एक आंकड़े के अनुसार पिछले 15 वषों में मणिपुर 600 बार नाकेबंदी से गुजर चुका है। ये नाकेबंदियां यादातर एनएच-39 पर ही हुई हैं।
सौ दिन से है लगातार बंद : इस समय भी यह बंद लगातार सौवें दिन तक पहुंच रहा है। इसके कारण खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर पेट्रोल-डीजल-गैस और दवाइयों तक के दाम आसमान छू रहे हैं। इस हाईवे पर अलगाववादी संगठनों द्वारा की जानेवाली अवैध टैक्स वसूली भी वाहनों को इस रास्ते पर आने से भयभीत करती है।
म्यांमार, सिंगापुर व वेबैंकाक से जोड़ेगा हाईवे : करीब 435 किलोमीटर का यह नेशनल हाइवे उस ‘एशियन हाइवे-1’ का एक भाग है, जो भारत को म्यांमार होते हुए बैंकाक और सिंगापुर से जोड़ेगा। केंद्र सरकार इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है। इसके अलावा सिलचर-जिरीबाम-इंफाल हाइवे भी शीघ्र पूरा करने का वादा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कर रखा है। यही दो रास्ते मणिपुरवासियों के लिए उम्मीद की किरण हैं।
एएच-1 से रोजगार बढ़ने की उम्मीद : सिलचर-जिरीबाम-इंफाल हाईवे उस नगालैंड से गुजरेगा ही नहीं, जहां वाहनों को नाकेबंदी का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर ‘एशियन हाईवे -1’ के निर्धारित मानदंडों के अनुसार बन जाने के बाद रोजगार की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाएंगी। कुछ माह पहले ही म्यांमार के मांडले में आयोजित एक व्यावसायिक सम्मेलन में शामिल होकर लौटे प्रोफेसर सुरजीत लौरेम्बम कहते हैं कि एशियन हाईवे-1 बनने एवं इसका उपयोग पूरी तरह शुरू हो जाने के बाद पर्यटन से जुड़े सभी क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। साथ ही, भारत-म्यांमार के बीच व्यापारिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आदान-प्रदान पढ़ेगा। इसका लाभ दोनों देशों को तो मिलेगा ही, भारत में एएच-1 का गेटवे होने के कारण मणिपुर राय इससे खासा लाभान्वित होगा।
पीएम ने उम्मीदों को परवान चढ़ाया : यह उम्मीद अकेले प्रोफेसर सुरजीत की नहीं, बल्कि पूरे मणिपुर की है। मणिपुर की इन्हीं समस्याओं के समाधान में पहली बार राय की सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही भाजपा की उम्मीदें छिपी हैं। इन्हीं उम्मीदों को रविवार को प्रधानमंत्री में अपनी इंफाल की रैली में यह कहकर परवान चढ़ा दिया कि पिछले 15 साल में जो काम मणिपुर में शासन करती रही कांग्रेस शासन में नहीं हुआ, वह काम भाजपा सरकार आने पर 15 महीनों में हो जाएगा। प्रधानमंत्री मणिपुर को नाकेबंदी से मुक्ति दिलाने का भी आश्वासन देकर गए हैं।
ओमप्रकाश तिवारी
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