ऊर्जा सुरक्षा पर सरकार का अपना एजेंडा
सरकारी तेल कंपनियों का विलय कर एक विशालकाय इनर्जी कंपनी का गठन करना सरकार की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद अहम साबित होगा।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली । वैश्विक माहौल जिस तरह से बदल रहा है उसको लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 पेश करते हुए काफी चिंता जताई है। बजट में ऐसे कई प्रावधन किये हैं जो अनिश्चित वैश्विक हालात में भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है। लेकिन बजट में ताप बिजली, पन बिजली और परमाणु बिजली सेक्टर को नजरअंदाज किया गया है उससे लगता है कि सरकार ऊर्जा सुरक्षा पर अपना अलग एजेंडा लागू करना चाहती है। इस एजेंडा में पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों की जगह गैस और अन्य गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे। वैसे सरकार की नीति स्पष्ट है कि वह देश में तेल की खपत कम करेगी और गैस की खपत बढ़ाएगी।
सरकारी तेल कंपनियों का विलय कर एक विशालकाय इनर्जी कंपनी का गठन करना सरकार की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद अहम साबित होगा। इतना ही अहम होगा देश में दो नए रणनीतिक तेल भंडार का बनाया जाना। ये भंडार उड़ीसा व राजस्थान में बनेंगे। इनके बाद देश में कच्चे तेल के पांच रणनीतिक भंडार हो जाएंगे। इनमें देश की जरुरत के मुताबिक तीन महीने का कच्चा तेल रखा जा सकेगा।
अभी हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात ने भारत के रणनीतिक भंडारों में निवेश करने की इच्छा जताई है। माना जा रहा है कि सरकार कुछ अन्य तेल उत्पादक देशों को नए रणनीतिक भंडारण क्षमता में निवेश की अनुमति देगा। इससे कच्चे तेल की कीमतों में जब असमान्य तौर पर उछाल आएगी तो भारत अपने भंडारण क्षमता का इस्तेमाल कर भारी वित्तीय बोझ से बच सकेगा।
ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि वित्त मंत्री ने दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना और आईडीपीएस के लिए बजटीय आवंटन में 25 फीसद का इजाफा किया है जो अपने आप में रिकार्ड है। इससे वर्ष 2020 तक हर घर तक बिजली पहुंचाने के लक्ष्य की तरफ मजबूती से बढ़ा जा सकेगा। सबसे पहले सरकार हर गांवों तक बिजली पहुंचाने का काम जल्द पूरा करेगी। सरकार के गठन के समय तकरीबन 18 हजार गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी। अब इन गांवों की संख्या घट कर 5700 रह गई है। इसी तरह से वित्त मंत्री ने सौर व पवन ऊर्जा उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले पैनलों पर परोक्ष करों में भारी कटौती कर दी है। साथ ही 20 हजार मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क बनाने का ऐलान और इन्हें वित्तीय मदद देने की बात कही गई है। मोदी सरकार ने गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से देश में 1.75 लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है।
ताप बिजली कंपनियों को निराशा
सरकार की ऊर्जा क्षेत्र में तमाम घोषणाओं को लेकर थर्मल पावर सेक्टर की कंपनियों में कोई उत्साह नहीं है। इन कंपनियों पर भारी भरकम कर्ज है जबकि देश में औद्योगिक मंदी की वजह से इनकी बिजली की मांग कम हो गई है। आर्थिक सर्वेक्षण में ताप बिजली कंपनियों की समस्याओं के बारे में लिखा गया है और इससे उम्मीद बन रही थी कि सरकार कुछ करेगी। इसी तरह से सरकार की तरफ से पनबिजली और परमाणु बिजली सेक्टर के लिए भी अलग से कुछ नहीं कहा गया है। जबकि भविष्य में इन्हें काफी अहम माना जा रहा है। सरकार ने कहा भी है कि वर्ष 2030 तक 60 हजार मेगावाट बिजली परमाणु सेक्टर से बनाई जाएगी। इसके बावजूद कोई प्रोत्साहन या नीतियों को स्पष्ट नहीं किया गया है।