सरकार के सामने अब शादी कराने का भी लक्ष्य
अब कोई भी यदि दलित लड़की या लड़के से शादी करेगा, तो उसे योजना का लाभ मिलेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विकास के साथ सामाजिक एकता को भी मजबूत बनाने के लिए सरकार अब मिशन मोड में काम करेगी। केंद्र सरकार ने इसे लेकर एक बड़ी पहल की है, जो दलितों से जुड़े अंतरजातीय विवाहों को बढ़ावा देने को लेकर है। फिलहाल इसके तहत सभी राज्यों को ज्यादा से ज्यादा शादी कराने का लक्ष्य भी दिया गया है।
सबसे बड़ा लक्ष्य उत्तर प्रदेश को दिया गया है, जिन्हें एक साल में दलितों के साथ 102 अंतरजातीय विवाह कराने को कहा गया है। केंद्र ने राज्य सरकारों से इस लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने के लिए कहा है। वैसे भी केंद्र सरकार का उन सभी राज्यों को इस योजना को लेकर सबसे ज्यादा फोकस है, जहां दलितों की आबादी ज्यादा है। इनमें उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है। जहां देश की कुल दलित आबादी के बीस फीसदी से ज्यादा लोग निवास करते हैं।
केंद्र सरकार ने हाल ही में दलितों के साथ होने वाले अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए चल रही ड़ा अंबेडकर योजना में बदलाव भी किया है। इसके तहत अब कोई भी यदि दलित से शादी करता है, तो उसे इस योजना का लाभ मिलेगा। योजना के तहत सरकार किसी दलित के अंतरजातीय विवाह करने पर उस दंपति को ढाई लाख रुपए देती है। लेकिन अभी तक इस योजना के तहत सिर्फ उन्ही लोगों को योजना का लाभ मिल पाता था, जिनकी सलाना आय पांच लाख से कम थी। लेकिन सरकार ने इस पेंच को खत्म कर दिया है।
अब कोई भी यदि दलित लड़की या लड़के से शादी करेगा, तो उसे योजना का लाभ मिलेगा। पहली किश्त डेढ़ लाख की और शादी के तीन साल पूरा होने के बाद दंपति को संयुक्त रूप से एक लाख। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस दौरान दलित बाहुल्य जिन दस राज्यों पर सबसे ज्यादा फोकस किया है, उनमें उत्तर प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और आंध्र प्रदेश है। योजना के तहत बिहार को 41 शादियों का, मध्य प्रदेश को 28 शादियों का, राजस्थान को 30 शादियों का लक्ष्य दिया गया है। मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक योजना तो वैसे वर्ष 2013 से शुरु हुई है, लेकिन अब तक राज्यों को लक्ष्य नहीं दिए गए थे और न ही इसे इतनी तवज्जो ही दी गई थी।
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