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नर्स अरुणा शानबाग का गुनहगार गांव से लापता

पिछले दो दिनों से हापुड़ के पारपा गांव का रोजनामचा बदला हुआ है। इसी गांव में अरुणा शानबाग का गुनहगार सोहनलाल वाल्मीकि रहता है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 30 May 2015 10:02 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2015 10:16 PM (IST)
नर्स अरुणा शानबाग का गुनहगार गांव से लापता

हापुड़ । पिछले दो दिनों से हापुड़ के पारपा गांव का रोजनामचा बदला हुआ है। इसी गांव में अरुणा शानबाग का गुनहगार सोहनलाल वाल्मीकि रहता है। सोहनलाल ने 42 साल पहले मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल की नर्स अरुणा पर यौन हमला किया था। असफल रहने पर उसने उसका गला चेन से जकड़ दिया था, जिसके कारण अरुणा कोमा में चली गई थीं। अभी कुछ दिन पहले ही अरुणा की मौत हुई है।

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42 साल पहले हुई वारदात के बाद कोमा में गई अरुणा की जिंदगी करुणकथा थी, तो उसे जिंदा रखने की जिद में सबसे बड़ी अदालत से टकरा जाने वाली अस्पताल की नर्से जिंदगी की सच्ची नायिका थीं। लेकिन इस पूरे प्रकरण का खलनायक केवल लूट मामले में जेल काटकर मुंबई से अपने पैतृक गांव गौतमबुद्धनगर के दादूपुर जाटान चला आया। भारतीय जनमानस में बसे सबसे घृणित चेहरों में से एक सोहनलाल धीरे-धीरे समाज में अपनी जगह बनाने लगा।

तीन दशक पहले सुर्खियों से दूर इस गांव में धीरे -धीरे उसे सामाजिक स्वीकृति मिल गई और उसने हापुड़ के पारपा गांव की विमला से शादी कर ली। भाइयों से नहीं निपटी तो अपने ससुर के घर पारपा में रहने लगा। शानबाग मामले को कई दशक बीत चुके हैं और पारपा में भी कई पीढि़यां जवान हो चुकी हैं। अब लोग फिलहाल सोहनलाल को एनटीपीसी दादरी में काम करने वाले मजदूर के रूप में जानते हैं, जिसकी तलाश में दो दिनों से मीडिया गांव में आ रही है।

सोहनलाल की पत्नी अपने एक बेटे के साथ फिलहाल पुणे गई है। जब दैनिक जागरण की टीम सोहनलाल की तलाश में पारपा पहुंची तो पता चला की इस समय वह एनटीपीसी में रात की ड्यटी कर रहा है, लौटने के बारे में मालूमात की तो पता चला की उसे किसी टीवी चैनल के लोग अपने साथ ले गए हैं। हालांकि बाद में ये सामने आया कि अपनी पहचान सामने आने के बाद सोहनलाल संभवत: किसी रिश्तेदार के यहां चला गया है। सोहनलाल के ससुराल पक्ष का भी गांव में कोई नहीं मिला।

कुछ बुजुर्गों का कहना है कि जब सोहनलाल की शादी हुई थी तो उसके ससुर और पत्नी किसी को ये नहीं पता था कि उसकी करतूत के कारण एक नर्स पिछले कई सालों से कोमा में है। सोहनलाल के साले और ससुर की भी मौत हो चुकी है।

70 बरस की उम्र में पहुंच चुके सोहनलाल के घर पर उसकी छोटी पुत्रवधू पूनम मिली। ग्राम प्रधान जुगेंद्र सिंह राणा से जब सोहनलाल के कृत्य के बारे में पूछा गया तो वे भौचक्के रहे गए। ग्रामीण सुनील अडवाणी का कहना है कि करीब पैंतीस साल पहले गांव पारपा में अपने ससुर मुख्त्यार वाल्मीकि के घर आकर अपनी पत्नी विमला के साथ रहने लगा।

बढ़ गई गुनहगार की मुश्किल

मुंबई की नर्स अरुणा शानबाग के मामले का दोषी गांव पारपा निवासी सोहनलाल वाल्मीकि का मामला अभी और भी बढ़ सकता है। अगर पैरवी की गई तो इस बुजुर्ग दोषी को तीन साल अभी और भी दिन जेल में गुजारने पड़ सकते हैं। हालांकि अभी इस मामले में किसी स्तर पर कोई पैरवी करता नहीं दिख रहा है। यह अधिवक्ताओं का कहना है।

गाजियाबाद जिला न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक राणा का कहना है कि इस मामले के गंभीर पहलू उन्हें नहीं मालूम हैं। लेकिन अगर अरुणा शानबाग की मौत उन्हीं चोटों के कारण हुई है जिससे संबंधित मामले में वह सजा काटकर आया है तो पीडि़त पक्ष की ओर से शिकायत करने पर इसकी धाराओं को बदला जा सकता है। जिससे यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अंतर्गत तरमीम किया जा सकता है। जिसमें दस साल की सजा का प्रावधान है।

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