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आईआईएम के छात्रों को नहीं दे पाए कलाम यह असाइनमेंट

कलाम के अंतिम दिन भी उनके साथ रहे उनके करीबी सहयोगी सृजन पाल सिंह ने कहा कि दिल्ली से शिलांग जाते समय वे संसद में होने वाले गतिरोधों के बारे में चर्चा कर रहे थे। अपने जीवन के अंतिम दिन तक लगातार बिना थके काम करते रहने वाले डॉक्टर एपीजे

By anand rajEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 12:31 PM (IST)
आईआईएम के छात्रों को नहीं दे पाए कलाम यह असाइनमेंट

कोलकाता। कलाम के अंतिम दिन भी उनके साथ रहे उनके करीबी सहयोगी सृजन पाल सिंह ने कहा कि दिल्ली से शिलांग जाते समय वे संसद में होने वाले गतिरोधों के बारे में चर्चा कर रहे थे।

अपने जीवन के अंतिम दिन तक लगातार बिना थके काम करते रहने वाले डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने आईआईएम शिलांग के छात्रों को एक ‘सरप्राइज असाइनमेंट’ देने की योजना बनाई थी। इस असाइनमेंट में उन्होंने आईआईएम के छात्रों से ऐसे नए तरीके खोजने के लिए कहना था, जिनसे संसद में गतिरोध खत्म किया जा सके।

कलाम के साथ दो पुस्तकों का सह-लेखन कर चुके सिंह ने शिलांग से पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘वह बेहद चिंतित थे और उन्होंने कहा था कि वे कई सरकारों के कार्यकाल देख चुके हैं लेकिन गतिरोध हर बार होता ही है। उन्होंने मुझसे छात्रों के लिए ‘सरप्राइज असाइनमेंट’ के तहत एक प्रश्न तैयार करने के लिए कहा था जो उन्हें लेक्चर के अंत में दिया जाना था।’’ सिंह ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति चाहते थे कि छात्र तीन ऐसे नवोन्मेषी विचार लेकर आएं जिनकी मदद से संसद को ज्यादा उत्पादक और जीवंत बनाया जा सके।

आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र रहे सिंह ने कहा, ‘‘हमने संसद में गतिरोध के मुद्दे को हमारी अगली पुस्तक ‘एडवांटेज इंडिया’ में भी शामिल करने का फैसला किया था। यह पुस्तक सितंबर-अक्तूबर में जारी होगी। मैं उस पुस्तक के बाजार में आने से पहले ही इस काम को करूंगा।’’ कलाम की अंतिम इच्छा के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि कलाम हमेशा देश के एक अरब चेहरों पर अरबों मुस्कुराहटें देखना चाहते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘वह चाहते थे कि ग्रामीण भारत विकसित हो और वह युवा सशक्तीकरण के बारे में भी बात करते रहते थे। अब उनके विचार और भी ज्यादा जीवंत हैं क्योंकि जो व्यक्ति इनके साथ अग्रिम मोर्चे से नेतृत्व कर रहा था, अब वह हमारे बीच नहीं है।’’ अपने जीवन में ‘मिसाइल मैन’ को एकमात्र अफसोस इस बात का रहा कि वह अपने माता-पिता को उनके जीवनकाल के दौरान 24 घंटे बिजली जैसे सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाएं।

सिंह ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उनके जीवन में उन्हें एकमात्र अफसोस इसी बात का रहा।’’

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