भारत बंद: हिसार में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल शुरू
हिसार [फोटोग्राफर गुलशन बजाज के साथ अमित धवन] । सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में और अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर कांग्रेस व वाम समर्थित ट्रेड यूनियनों के एक दिवसीय भारत बंद के आह्वान पर हिसार में रोडवेज कर्मियों ने देररात से ही हड़ताल शुरू कर दी
हिसार [फोटोग्राफर गुलशन बजाज के साथ अमित धवन] । सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में और अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर कांग्रेस व वाम समर्थित ट्रेड यूनियनों के एक दिवसीय भारत बंद के आह्वान पर हिसार में रोडवेज कर्मियों ने देररात से ही हड़ताल शुरू कर दी है।
हिसार रोडवेज के डिपो पर देररात करीब 3 बजे ही हड़तालीकर्मियों ने धरना-प्रदर्शन शुुरु कर दिया। हड़ताली कर्मियों ने 12 से 15 बसों की टायरों की हवा भी निकाल दी। कुछ बसों को वर्कशाॅप में खड़ा कर दिया गया। वहीं, हड़ताल का समर्थन नहीं कर रहे कर्मी अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं कि टायरों में हवा भरकर बसों को चलाया जा सकें।
इस बीच, हड़तालीकर्मियों का साथ देने के लिए पीडब्ल्यूडी, बीएंडआर, पशुपालन, स्वास्थ्य, बिजली निगम, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, सीटू के कर्मचारी भी पहुंच गए हैं।
हड़ताल के मद्देनजर पुलिस बल भी हिसार रोडवेज डिपो पर तैनात है।
हो सकती है परेशानी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रेलवे को छोड़ केंद्र, राज्य व निजी क्षेत्र से संबंधित विभिन्न प्रतिष्ठानों के लाखों कर्मचारी बुधवार, 2 सितंबर को हड़ताल पर रहेंगे। इनमें बैंक, बीमा, सड़क व हवाई परिवहन, तेल व गैस से जुड़े प्रतिष्ठान शामिल हैं। सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में और अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर कांग्रेस व वाम समर्थित ट्रेड यूनियनों ने एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया है। भाजपा समर्थित बीएमएस इस हड़ताल में शामिल नहीं है।
एटक के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि हड़ताल शांतिपूर्ण रहेगी जिसमें रेलवे को छोड़ सभी प्रतिष्ठान शामिल होंगे। जबकि भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव विरजेश उपाध्याय का कहना है कि हड़ताल का विशेष असर नहीं होगा और बिजली व पेट्रोलियम व गैस क्षेत्र इससे प्रभावित नहीं होंगे।
इस बीच केंद्रीय श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने एक बार फिर यूनियनों से हड़ताल न करने का अनुरोध किया है। मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा वह पिछले साल 19 नवंबर और इस साल 15 मई को अकेले, जबकि 19 जुलाई व 26-27 अगस्त को अंतरमंत्रालय समिति के सदस्य के रूप में यूनियनों के साथ कई मर्तबा चर्चा कर चुके हैं। यूनियनों की मांगें सरकार की उच्च प्राथमिकता में हैं। संगठित व असंगठित दोनों तरह के कामगारों को केंद्र द्वारा तय न्यूनतम वेतन देने की अनिवार्यता के लिए जल्द ही कानून में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव है। राज्य का न्यूनतम वेतन केंद्र के न्यूनतम वेतन से अधिक है तो वहां वही मान्य होगा। इसमें सुप्रीम कोर्ट और इंटरनेशनल लेबर कांफ्रेंस (आइएलसी) के मानक अपनाए जाएंगे। फलस्वरूप जो राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन अभी 160 रुपये है, वह बढ़कर 273 रुपये प्रति दिन हो जाएगा। उन्होंने कहा यद्यपि मुझे नहीं लगता कि हड़ताल से ज्यादा असर पड़ेगा। क्योंकि बीएमएस के अलावा नेशनल फ्रंट आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस ने इससे अलग रहने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा हड़ताल के बावजूद यूनियनों के साथ वार्ता जारी रहेगी।
ट्रेड यूनियनों ने इस हड़ताल की घोषणा श्रम मंत्री के साथ पिछले साल जुलाई में हुई पहली बैठक के बाद ही कर दी थी। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में चार सदस्यीय अंतरमंत्रालयीय समिति का गठन कर दिया। इसमें श्रम मंत्री के अलावा पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान तथा ऊर्जा व कोयला मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं। समिति की इस साल 19 जुलाई को हुई पहली और 26-27 अगस्त को हुई दूसरी बैठक में सरकार ने यूनियनों की अधिकांश मांगें मानने का भरोसा देते हुए हड़ताल पर न जाने की अपील की। लेकिन 28 अगस्त को यूनियनों की बैठक में बीएमएस को छोड़ अन्य 10 यूनियनों-इंटक, एटक व सीटू आदि ने हड़ताल पर डटे रहने का निर्णय लिया। बीएमएस यह कहते हुए पीछे हट गई कि सरकार के प्रस्ताव उत्साहजनक हैं और उसे वक्त दिया जाना चाहिए।
प्रमुख मांगें
* श्रम कानूनों में श्रमिक व कर्मचारी विरोधी बदलाव वापस लें।
* सरकारी उपक्रमों का विनिवेश और निजीकरण बंद हो।
* न्यूनतम मजदूरी 15,000 प्रति माह की जाए।
* कामगार रखने के लिए ठेका प्रणाली खत्म की जाए।
* श्रमिक विरोधी कानून लागू नहीं हो।
* अगले वर्ष जनवरी से 7वां वेतन आयोग।
* महंगाई पर रोक लगाई जाए।
* सड़क परिवहन एवं सुरक्षा विधेयक को अपने मूल रूप में रखा जाए।