दस भाजपा सांसद हो सकते हैं वित्तीय समितियों से बाहर
भाजपा के कम से कम दस सांसदों को शायद इस बार संसद की तीन महत्वपूर्ण वित्तीय समितियों में स्थान नहीं मिल पाएगा।
नई दिल्ली। भाजपा के कम से कम दस सांसदों को शायद इस बार संसद की तीन महत्वपूर्ण वित्तीय समितियों में स्थान नहीं मिल पाएगा। संसदीय कार्य मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता एम. वेंकैया नायडू ने हालांकि इस बारे में विवरण देने से इंकार कर दिया, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि संसदीय समितियों में सदस्यों को इस आधार पर नामांकित किया जाता है कि वे उस समिति में कितना समय दे पाएंगे। 30 अप्रैल को लोक लेखा समिति, आकलन समिति और सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति का एक वर्षीय कार्यकाल खत्म हो रहा है। उससे पूर्व ही नए सदस्यों का चुनाव या नामांकन किया जाना है।
सूत्रों के मुताबिक, वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली आकलन समिति में इस बार विनोद खन्ना और कीर्ति आजाद के नामांकन की संभावना नहीं है। इसी तरह कांग्रेस नेता केवी थॉमस की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति में इस बार दुष्यंत सिंह का नामांकन पक्का नहीं है। वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार की अध्यक्षता वाली सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति में संभवतः इस बार नंद कुमार सिंह चौहान और वरुण गांधी को जगह नहीं मिल पाएगी।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि संसद (लोकसभा एवं राज्यसभा) का प्रत्येक सदस्य कम से कम दो संसदीय समितियों का सदस्य होता है। इसलिए यदि उसे एक समिति से हटा भी दिया जाता है तो उसे किसी दूसरी समिति में स्थान मिल जाता है। बता दें कि आकलन समिति में 30 लोकसभा सदस्य होते हैं। जबकि लोक लेखा समिति और सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति में 22-22 सदस्य होते हैं जिनमें से प्रत्येक में 15 लोकसभा से और सात राज्यसभा के सदस्य होते हैं।